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अखिलेश यादव बार-बार क्यों बदल रहे उम्मीदवार? कहीं ये वजह तो नहीं

Akhilesh Yadav Lok Sabha Election 2024: समाजवादी पार्टी लगातार अपने उम्मीदवार बदल रही है। इसे लेकर अखिलेश यादव चर्चा में हैं। जहां एक ओर अखिलेश यादव की तैयारियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर इसे रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Apr 4, 2024 16:47
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akhilesh yadav
UP Lok Sabha Election Exit Poll 2024

Akhilesh Yadav Lok Sabha Election 2024 (मानस श्रीवास्तव, लखनऊ): अखिलेश यादव जाटलैंड में लोकसभा चुनाव से पहले बार-बार अपने उम्मीदवार बदल रहे हैं। मेरठ में तो तीसरी बार नया उम्मीदवार घोषित किया गया है। वहीं रामपुर से लेकर मुरादाबाद और नोएडा से लेकर बिजनौर तक लगातार उम्मीदवार बदले जा रहे हैं। ऐसे में सवाल ये कि क्या अखिलेश कन्फ्यूज हैं या फिर बदले हुए हालातों मे जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश कर रहे हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह…

मुरादाबाद और रामपुर में टिकट बदलने को लेकर समाजवादी पार्टी में घरेलू कलह चल ही रही थी कि मेरठ और बागपत में भी पार्टी ने उम्मीदवार बदल दिए हैं। बार-बार टिकट बदलने पर बीजेपी अखिलेश यादव का मजाक उड़ा रही है। उन्हें घबराया हुआ भी बता रही है, तो दूसरी तरफ राजनीति के जानकार मानते हैं कि इससे अखिलेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ा नुकसान हो सकता है।

पहले बात करते हैं मेरठ लोकसभा सीट की… 

यहां सीट सामान्य थी, लेकिन अखिलेश ने दलित प्रत्याशी के रूप में भानु प्रताप सिंह को उम्मीदवार बना दिया। बीजेपी से यहां पर ‘टीवी के राम’ अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। जिसके बाद अखिलेश ने यहां गुर्जर बिरादरी के अतुल प्रधान को उम्मीदवार बना दिया, लेकिन अचानक उनका भी टिकट काटकर दलित बिरादरी की महिला उम्मीदवार सुनीता वर्मा को टिकट देकर नामांकन करवा दिया। नाराज अतुल प्रधान ने इस्तीफे की पेशकश कर दी, तो उन्हें लखनऊ बुलाकर समझाया गया, लेकिन बीजेपी इस पूरे मामले पर तंज कस रही है।

बागपत में भी बदला प्रत्याशी

सिर्फ मेरठ ही क्यों, बागपत में मनोज चौधरी सपा के उम्मीदवार थे, जो जाट बिरादरी से आते हैं, लेकिन बाद में अमरपाल शर्मा को उम्मीदवार बना दिया। सिर्फ इतना ही नहीं बिजनौर की रुचिवीरा को मुरादाबाद से उम्मीदवार बनाकर वर्तमान सांसद एसटी हसन को पैदल कर दिया। रामपुर के अलावा नोएडा और बिजनौर में भी टिकट बदले गए। बिजनौर में पहले मलूक नागर को टिकट दिया गया और अब दीपक सैनी को मैदान में उतारा गया है। बिजनौर में अकेले डेढ़ लाख सैनी वोट हैं, जो दलितों के बाद दूसरी बड़ी आबादी है।

जातीय समीकरण हैं वजह

माना जा रहा है कि अखिलेश यादव जातीय समीकरणों के आधार पर बार-बार टिकट बदल रहे हैं। माना ये जा रहा है कि पिछले लोकसभा चुनाव से इस बार हालात पूरी तरह से अलग हैं। पिछली बार सपा का बसपा से गठबंधन था, लिहाजा पश्चिमी यूपी में मुस्लिमों के साथ दलितों ने मिलकर इस गठबंधन के पक्ष में वोट किया था। कुछ हिस्सा जाट वोट का भी इस गठबधन को हासिल हुआ था, क्योंकि तब राष्ट्रीय लोकदल भी साथ थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। जयंत चौधरी भाजपा के साथ खड़े हैं। मायावती की बसपा बिल्कुल अलग चुनाव लड़ रही है। आजाद पार्टी के चंद्रशेखर से भी बात नहीं बन पाई। लिहाजा वो भी अलग चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में अखिलेश को बार-बार रणनीति बदलनी पड़ रही है।

आधी-अधूरी तैयारी का नतीजा

हालांकि इसका सपा को फायदा होगा या नुकसान, इस पर अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव सिर्फ जातीय समीकरणों को साधने के लिए बार-बार अपनी रणनीति और उम्मीदवार दोनों बदल रहे हैं, तो कुछ इसे आधी-अधूरी तैयारी का नतीजा मान रहे हैं। दरअसल, पश्चिमी यूपी में जाट-गुर्जर के साथ गैर जाटव दलित और पिछड़ा वर्ग बीजेपी के साथ है। ऐसे में अखिलेश दलित मुस्लिम और पिछड़ी जातियों का गठजोड़ तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए वो हर सीट पर फिर से अपनी रणनीति बना रहे हैं।

बदायूं सीट से भी बदल सकता है उम्मीदवार

अभी बदायूं सीट से भी उम्मीदवार बदलने की चर्चा है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दूसरी कई सीटों पर अखिलेश उम्मीदवार बदलने पर मंथन कर रहे हैं। अखिलेश इस बात को समझ रहे हैं कि जयंत चौधरी के बीजेपी के साथ जाने और चंद्रशेखर के अलग हो जाने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वो सिर्फ जातीय समीकरणों के सहारे ही उम्मीदवार जितवा सकते हैं।

ये भी पढ़ें: पहले मुरादाबाद अब मेरठ, सपा ने फ‍िर बदला प्रत्‍याशी, जानें कौन हैं सुनीता वर्मा

First published on: Apr 04, 2024 04:47 PM

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