Greater Noida News: पूरी दुनिया में करीब 7 लाख करोड़ रुपये के सालाना कारोबार वाले खिलौना उद्योग में भारत की हिस्सेदारी अभी भी बेहद सीमित है. भारत से फिलहाल केवल 4000 करोड़ रुपये के खिलौनों का निर्यात होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि उत्तर प्रदेश सरकार आर्थिक और नीतिगत सहयोग प्रदान करे, तो भारत विशेषकर यूपी वैश्विक टॉय मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर सकता है.
क्या बोले एसोसिएशन के अध्यक्ष
यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो के दौरान टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने यह मांग उठाई कि राज्य सरकार को जल्द से जल्द टॉय मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी बनानी चाहिए. उन्होंने बताया कि इस संबंध में इंवेस्ट यूपी के एसीईओ शशांक कुमार से मुलाकात कर विस्तृत सुझाव भी साझा किए गए हैं.
यूपी में टॉय पार्क तैयार
अजय अग्रवाल ने कहा कि ग्रेटर नोएडा और यमुना सिटी में टॉय मैन्युफैक्चरिंग के लिए विशेष टॉय पार्क विकसित किए गए हैं, लेकिन उत्पादन क्षमता और निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार को एक समर्पित टॉय नीति लानी होगी. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश जैसे राज्य पहले ही टॉय इंडस्ट्री के लिए नीतियां बनाकर उद्यमियों को सुविधाएं दे रहे हैं. ऐसे में दिल्ली और एनसीआर के नजदीक स्थित यूपी को इस अवसर का लाभ उठाने में देरी नहीं करनी चाहिए.
देश का टॉय मार्केट 30,000 करोड़ का
देश में फिलहाल 30,000 करोड़ रुपये का टॉय मार्केट है, जिसमें से लगभग 30 फीसद हिस्सा अब भी चीन से आयात पर निर्भर है. हालांकि, पहले यह आंकड़ा 80 फीसद तक था. अब घरेलू उत्पादन के चलते यह काफी कम हुआ है. अजय अग्रवाल ने कहा कि चीनी उत्पादों के अवैध आयात पर सख्ती और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देकर भारत इस आंकड़े को और घटा सकता है.
एमएसएमई को मिलेगा सबसे बड़ा लाभ
उन्होंने कहा कि टॉय इंडस्ट्री का लगभग 90 फीसदी हिस्सा एमएसएमई सेक्टर से जुड़ा है. ऐसे में अगर टॉय नीति बनती है तो यह छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए नया जीवनदायी अवसर साबित हो सकता है. खिलौना निर्माण में मशीनों की अपेक्षा हाथ से काम अधिक होता है, जिससे रोजगार सृजन की संभावना भी अधिक रहती है.
नीति बनी तो बन सकेंगी बड़ी फैक्ट्रिया
अजय अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में भारत में बड़ी मात्रा में विदेशी ऑर्डर आने के बावजूद उन्हें पूरा करने में कठिनाई आती है, क्योंकि उत्पादन की क्षमता सीमित है. यदि सरकार द्वारा जमीन, श्रम और तकनीक के स्तर पर इंसेंटिव आधारित नीति लाई जाती है तो बड़े स्तर पर फैक्ट्रियों की स्थापना संभव होगी. इससे भारत वैश्विक टॉय मार्केट में मजबूत हिस्सेदार बन सकेगा.
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