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Sachin Pilot: गहलोत को अब उनके गढ़ में घेरेंगे पायलट, मारवाड़ का यह बड़ा नेता आया साथ, जानें अंदर की बात

Sachin Pilot: राजस्थान की राजनीति में गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही। कांग्रेस हो या विरोधी पार्टी बीजेपी दोनों ही पार्टियों में नेताओं की आपसी गुटबाजी में नुकसान पार्टी को ही उठाना पड़ता है। इन सबके बीच अब एक नया सियासी समीकरण जयपुर की राजनीतिक गलियारों में डोल रहा है। गणतंत्र दिवस से एक रोज […]

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jan 28, 2023 14:11
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Sachin Pilot, Harish Choudhary
Sachin Pilot, Harish Choudhary

Sachin Pilot: राजस्थान की राजनीति में गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही। कांग्रेस हो या विरोधी पार्टी बीजेपी दोनों ही पार्टियों में नेताओं की आपसी गुटबाजी में नुकसान पार्टी को ही उठाना पड़ता है।

इन सबके बीच अब एक नया सियासी समीकरण जयपुर की राजनीतिक गलियारों में डोल रहा है। गणतंत्र दिवस से एक रोज पहले हरीश चौधरी सचिन पायलट से मिलने उनके बंगले पर जाते हैं और उसके एक दिन बाद यानि 26 जनवरी को गहलोत पायलट को इशारों-इशारों में सब कुछ समझा देते हैं।

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25 जनवरी को पायलट के बंगले पर हुई इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे है। (Sachin Pilot) पूर्वी राजस्थान के बाद उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान में अपना जनाधार बढ़ाने में जुटे पायलट के लिए हरीश चौधरी का साथ सोने पर सुहागे जैसा है। क्योंकि गहलोत पिछले सितंबर में हुए क्राइसिस के बाद कह चुके है कि पायलट के पास जन समर्थन नहीं है।

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दोनों के बीच पश्चिमी राजस्थान कुछ किसान सम्मेलन करने की बात भी हुई। पश्चिमी राजस्थान की 49 में से 40 सीटों पर जाट वोट बैंक प्रभावी है। इसे देखते हुए वन मंत्री हेमाराम चौधरी के अलावा हरीश चौधरी का साथ आना सचिन के लिए एक बहुत बड़ा मौका है।

गहलोत गुट के हरीश चौधरी ने क्यों बदला पाला

हरीश चौधरी जुलाई 2020 के क्राइसिस में अशोक गहलोत के साथ थे। (Sachin Pilot) तल्खी बढ़नी शुरू हुई जब पार्टी ने उनसे मंत्री पद छिन लिया। उसके बाद ओबीसी आरक्षण को लेकर उन्होंने प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया। इसके बाद हरीश चौधरी गहलोत से दूर होते गए। अब दोनों के बीच नाराजगी का स्तर काफी बढ़ चुका है।

दोनों के बीच पहले जैसे सामान्य संबंध नहीं रहे। एक और दूसरी समस्या यह हैं कि राजस्थान के नेता अपने आप को दूसरे राज्यों में इतना बेहतर तरीके से समयोजित नहीं कर पाते है। इसलिए हरीश चौधरी हो या रघु शर्मा कोई भी बाहरी राज्यों में इतना सफल नहीं हो पाए।

गहलोत को गढ़ में घेरने की तैयारी

चौधरी ने पायलट से हुई मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात बताया है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो आने वाले दिनों में हरीश चौधरी सचिन पायलट के साथ मंच साझा करते नजर आएंगे। क्याेंकि जल्द ही पायलट गहलोत के गढ़ मारवाड़ में किसान सम्मेलन करने जा रहे हैं।

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अब दोनों के साथ आने के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। पाॅलिटिकल पंडितों की माने तो सियासी रूप से दोनों नेता अब गहलोत के विरोधी हैं। ऐसे में दोनों विरोधियों का साथ आना फिलहाल फायदेमंद दिख रहा है। केंद्रीय राजनीति में दोनों की अच्छी पकड़ है। विधानसभा चुनावों के समय टिकट वितरण में भी दोनाें एक दूसरे का साथ देंगे जिससे अगर पार्टी चुनाव जीतती हैं तो पायलट के सीएम बनने की संभावनाएं ज्यादा होगी।

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Jan 28, 2023 11:28 AM
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