राजस्थान में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होते ही सियासी माहौल अचानक गरमा गया है. 41 लाख 85 हजार मतदाताओं के नाम हटने और 11 लाख लोगों को नोटिस जारी होने के बाद अब इस पूरी प्रक्रिया ने चुनावी राजनीति को एक नए मोड़ पर ला दिया है. मुख्य लड़ाई सिर्फ नाम काटने की नहीं—बल्कि आने वाले चुनावों में वोट बैंक बचाने की है.
बीजेपी का मिशन – नुकसान की भरपाई और ‘सेफ ज़ोन’ को बचाना
ड्राफ्ट सूची जारी होने के कुछ ही घंटों बाद भाजपा मुख्यालय में बड़ी रणनीतिक बैठक बुलाना इस बात का संकेत था कि पार्टी इस झटके को हल्के में नहीं ले रही. बुधवार शाम को हुई इस अहम बैठक में खुद सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, दोनों उपमुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद के कई मंत्री, पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी और पार्टी के BLOs की मौजूदगी ने यह साफ कर दिया कि SIR अब भाजपा के लिए बड़ी राजनीतिक चुनौती है.
मुख्यमंत्री की चिंता और अब स्पष्ट निर्देश
इस बैठक में स्टार्ट और उसके आंकड़े पर गहन चर्चा हुई. अगले एक महीने तक नाम दोबारा शामिल करवाने पर मिशन मोड में काम करने की हिदायत भी दी गई. कहा गया कि प्रभार वाले जिलों में अब मंत्रियों को ही पूरी निगरानी रखनी होगी. निर्वाचन अधिकारियों के साथ तालमेल बढ़ाना होगा. बैठक का माहौल तब और गंभीर हो गया, जब भजनलाल शर्मा ने पार्टी पदाधिकारियों से सवाल किया कि क्यों 52 हजार बूथों पर BLO-1 और BLO-2 की नियुक्ति में लापरवाही हुई?
ड्राफ्ट आंकड़ों ने बीजेपी की भी चिंता बढाई
दरअसल, ड्राफ्ट में जो आंकड़ा सामने आया वह भाजपा के लिए झटका था. क्योकि चौंकाने वाले क्षेत्र में सीएम भजनलाल शर्मा के निर्वाचन क्षेत्र सांगानेर – 61,674 नाम कटे. उनकी सरकार में उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी के निर्वाचन क्षेत्र विद्याधर नगर में करीब 16 फीसदी यानी कुल मतदाताओं में से 57,424 के नाम कटे. शहरी इलाकों में भाजपा अपनी मजबूती पर गर्व करती आई है.
लेकिन अब वही क्षेत्र टॉप 10 लिस्ट में हैं जहां सबसे ज्यादा नाम हटे हैं. भाजपा के लिए डर साफ है— उसे लगने लगा है कि शहरी वोट बैंक, पार्टी के गढ़ और सूबे के शीर्ष नेताओं के क्षेत्र ये सभी राजनीतिक रूप से खतरे में हैं.
कांग्रेस—अभी हमला नहीं, लेकिन तैयारी जबरदस्त
कांग्रेस इस ड्राफ्ट को बीजेपी के खिलाफ हथियार की तरह देख रही है. 52,000 से अधिक बूथों पर BLO पहले ही तैनात कर दिए है. जिनसे वार रूम में पार्टी के तमाम जिम्मेदार नोटिस पाने वालों की अलग लिस्ट मांगकर अपना काम शुरू कर चुके हैं. दस्तावेज अपडेट का अभियान की जोरदार तैयारी है.
विपक्ष में होने के बावजूद SIR को लेकर कांग्रेस की जोरदार तैयारी
विपक्ष होने के बावजूद कांग्रेस इस बार ज़मीन पर ज्यादा सक्रिय दिख रही है. उन्हें दो फायदे मिल सकते हैं. जिन मतदाताओं के नाम हटे हैं, उनका असंतोष और BJP की सरकारी मशीनरी पर लापरवाही के आरोप. यही कारण है कि कांग्रेस फिलहाल ड्राफ्ट पर काम कर रही है,लेकिन इंतजार कर रही है अंतिम सूची का, क्योंकि फ़ाइनल लिस्ट की गिनती होगी, मुद्दा वहीं बनेगा.
दिग्गजों को सबके बड़ा झटका
राजस्थान में सभी 41 जिले और 199 क्षेत्र में हुए SIR के बाद विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं के नाम कटे हैं. शहरी क्षेत्र में 10 से 12 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 5 फीसदी तक नाम हर विधानसभा क्षेत्र से कटे हैं. यदि टॉप 10 नाम काटने वाले राजस्थान के विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो टॉप नाम कटने वाले क्षेत्र भीलवाड़ा में सबसे ज्यादा 21.36% यानी 62,927 नाम हटाये गए हैं यह इलाका BJP का मजबूत गढ़ मन जाता है.
जोधपुर के सरदारपुरा में 21.07% यानी 56,809 नाम हटाये गए है यह इलाका कौरव सीएम अशोक गहलोत का निर्वाचन क्षेत्र भी है. जहां से भी लगातार विधायक भी चुनकर भी आ रहे हैं. जयपुर शहर में आने वाला सांगानेर में 61,674 नाम हटे है जो की CM भजनलाल शर्मा का निर्वाचन क्षेत्र है. जबकि जयपुर के ही विद्याधर नगर में 57,424 नाम हटाये गए है और यह क्षेत्र उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी का चुनाव क्षेत्र है. जहां से इस बार चुनकर में विधानसभा तक पहुंची. इसके साथ ही जोधपुर और भाजपा के राजनीतिक रूप से सबसे मजबूत परंपरागत मेवाड़ के उदयपुर जैसे पारंपरिक गढ़ों में नाम कटना बड़ा राजनीतिक संकेत है.
आगे क्या?
आने वाले एक महीने में BJP और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां नाम जोड़ने की होड़ में दिखेगी. कांग्रेस नाम कटने को बड़ा मुद्दा बनाएगी और शहरी क्षेत्र हलचल का केंद्र रहेंगे. ग्रामीण क्षेत्रों में नोटिस की राजनीति भी नजर आएगी और असली लड़ाई होगी ड्राफ्ट vs फाइनल लिस्ट के बीच, क्योंकि SIR की ड्राफ्ट सूची ने सिर्फ वोटर लिस्ट नहीं बदली है बल्कि इसने राजस्थान की राजनीति को नए समीकरण दिए हैं.
यह संगठनात्मक लिहाज से खुद को सबसे बड़ी और कदर वाली पार्टी बताने वाली BJP के लिए यह संगठन क्षमता की परीक्षा है. वहीं, कांग्रेस के लिए यह राजनीतिक अवसर और सबसे महत्वपूर्ण है कि हर वोट की लड़ाई शुरू हो चुकी है, क्योंकि राजनीतिक दल और उसके नेता अच्छी तरह से जान चुके हैं कि लोकतंत्र में हर एक वोट की कितनी अहमियत होती है.










