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Rajasthan Election 2023: भाजपा सांसदों को बागियों से मिल रही कड़ी चुनौती, दीया को छोड़ कांटों भरी है सभी की राहें

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में भाजपा की चुनावी वैतरणी इस बार सांसदों के भरोसे हैं। हालांकि सांसदों की आफत भी कम नहीं है। पार्टी ने उनको प्रत्याशी बनाया तो उनके सामने कांग्रेस के अलावा बागी प्रत्याशियों की भी चुनौती है।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Nov 11, 2023 13:20
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Rajasthan Assembly Election 2023 BJP MP Tough Contest
Rajasthan Assembly Election 2023 BJP MP Tough Contest (Pic Credit- Google)

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में सत्ता की वापसी में जुटी भाजपा ने इस बार अपने 7 सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा है। पार्टी ने सातों सांसदों के नामों को ऐलान पहली सूची में ही कर दिया था। हालांकि इन सीटों पर दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है। इन सीटों पर बागी उनके लिए बड़ी मुसीबत बन रहे हैं। बागी ताल ठोंककर मैदान में डटे हैं। हालांकि पार्टी ने इनको मनाने की जहमत नहीं उठाई क्योंकि पार्टी हाईकमान को लगता है कि इन बागियों से पार्टी प्रत्याशियों को नुकसान न के बराबर होगा। ऐसे में अगर ये प्रत्याशी हार जाते हैं तो पार्टी को बड़ा झटका लगेगा। वहीं अगर चुनाव जीतते हैं तो इनमें से कई मंत्री पद के भी दावेदार हैं। भाजपा ने विद्याधर नगर से दीया कुमारी, सवाई माधोपुर सीट से राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा, झोटवाड़ा सीट से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सांचौर से देवजी पटेल, तिजारा से बाबा बालकनाथ, मंडावा से नरेंद्र खींचड़, किशनगढ़ से भागीरथ चौधरी को प्रत्याशी बनाया है।

दीया फैला सकती है विद्याधर नगर में रोशनी

भाजपा के लिए यह सीट सबसे सुरक्षित मानी जाती रही है। इस सीट से पूर्व सीएम भैंरोसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी चुनाव लड़ते आए हैं, लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काटकर राजसमंद सांसद दीया कुमारी को मैदान में उतारा है। दीया इससे पहले 2013 में सवाईमाधोपुर से विधायकी का चुनाव लड़ चुकी हैं। दीया के सामने कांग्रेस प्रत्याशी सीताराम अग्रवाल हैं। सीताराम भी पिछली बार इस सीट से लड़े और बड़े अंतर से चुनाव हार गए। हालांकि यह भी एक बड़ा सवाल है कि अगर दीया इतनी मजबूत प्रत्याशी है तो उन्हें विद्याधर नगर जैसी सेफ सीट से क्यों चुनाव लड़ाया जा रहा है?

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राठौड़ की राह अब हुई और आसान

विद्याधर नगर की तरह ही इस सीट को सेफ सीट माना जाता है क्योंकि यह सीट सेमी अर्बन और सेमी रूरल क्षेत्र में हैं। इस सीट से भाजपा ने राजपाल सिंह शेखावत का टिकट काटकर जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि टिकट मिलने के बाद से ही उनका लगातार विरोध हो रहा है। शेखावत ने निर्दलीय नामांकन कर पार्टी को परेशानी में डाल दिया था, लेकिन नामांकन वापसी के आखिरी दिन गृहमंत्री शाह के फोन के बाद शेखावत ने नामांकन वापस ले लिया। वहीं कांग्रेस ने लालचंद कटारिया के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद इस युवा अभिषेक चैधरी को मैदान में उतारा है।

बाबा के लिए चुनौती बने बागी

भाजपा ने अलवर की तिजारा सीट से अलवर सांसद बाबा बालकनाथ को प्रत्याशी बनाया। पिछली बार इस सीट से संदीप यादव जीते थे। वो हर बार किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहे। इस सीट से भाजपा के पूर्व विधायक मामन सिंह ने निर्दलीय पर्चा दाखिल किया था। हालांकि मनाने के बाद वे पीछे हट गए। हालांकि मुस्लिम और हिंदू बाहुल्य सीट से भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।

देवजी की परेशानी बने जाट नेता

जालौर-सिरोही से सांसद देवजी पटेल को पार्टी ने सांचौर से मैदान में उतारा है। यहां पार्टी दो भीतरघातियों से परेशान हैं। इस सीट से दानाराम चौधरी और जीवाराम चौधरी बारी-बारी से चुनाव लड़ते आए हैं ऐसे में इस बार जब पार्टी ने सांसद को प्रत्याशी बनाया तो नाराज जीवाराम ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया। हालांकि पार्टी ने पिछली बार दानाराम को प्रत्याशी बनाया था। वहीं दानाराम ने भी जीवाराम को समर्थन देने का फैसला किया है। इस सीट से कांग्रेस ने मंत्री सुखराम विश्नोई को उम्मीदवार बनाया है। सुखराम इस सीट से पिछली 2 बार से जीत रहे हैं।

बाबा की असली परीक्षा अब

राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा को भाजपा ने सवाई माधोपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है। इस सीट से उन्हें भाजपा की पूर्व प्रत्याशी आशा मीणा से चुनौती मिल रही है। इसके अलावा कांग्रेस ने यहां से दानिश अबरार को प्रत्याशी बनाया है। दानिश अभी इस सीट से सांसद हैं। वहीं कांग्रेस से अजीज आजाद भी मैदान में हैं।

मंडावा में जाट के सामने जाट उम्मीदवार

भाजपा ने झुंझुनूं की मंडावा सीट से सांसद नरेंद्र खींचड़ को प्रत्याशी बनाया है। इससे पहले वे 2 बार विधायक रह चुके हैं। 2013 में निर्दलीय जीतने पर पार्टी ने 2018 में उनको चुनाव लड़वाया और वे जीत गए। इसके बाद 2019 के चुनाव में पार्टी ने उनको झुंझुनूं सीट से उम्मीदवार बनाया। इसके बाद हुए उपचुनाव में पार्टी चुनाव हार गई। कांग्रेस की रीटा चौधरी यहां से चुनाव जीत गई। ऐसे में उनके सामने चुनौती बड़ी है।

अजमेर में बागी ने बढ़ाई परेशानी

अजमेर से भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी किशनगढ़ से 2013 में विधायक रह चुके हैं। इसके बाद 2018 के चुनाव में पार्टी ने विकास चौधरी को उम्मीदवार बनाया और वे हार गए। यहां से कांग्रेस के सुरेश टांक ने जीत दर्ज की, लेकिन कांग्रेस ने इस बार उनको टिकट नहीं देकर भाजपा से आए बागी विकास चौधरी को उम्मीदवार बना दिया। इससे नाराज टांक ने निर्दलीय पर्चा भर दिया है।

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Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: Nov 11, 2023 01:16 PM

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