Rajasthan Assembly Election 2023 Bhairon Singh Shekhawat Story: राजस्थान और देश की राजनीति में एक ऐसे भी नेता हुए हैं जिनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं थे तो अपनी पत्नी से 10 रुपए लिए और चुनाव लड़ा। इसके बाद यह नेता प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर भारत के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचा।
1947 में आजादी मिलने के बाद भारत में पहली बार 1952 में आम चुनाव हो रहे थे। चारों ओर कांग्रेस के पक्ष में माहौल था। वहीं राजस्थान में राजघरानों के कई जागीरदार कांग्रेस के खिलाफ थे। ऐसे में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जनसंघ का काम लालकृष्ण आडवाणी देख रहे थे। आडवाणी राजस्थान में जनसंघ के लिए अच्छे उम्मीदवारों की तलाश में थे। इसी की तलाश में आडवाणी पहुंचे बिशन सिंह शेखावत के घर। बिशन सिंह शेखावत संघ से जुड़े थे। उनकी बिशन सिंह से अच्छी मित्रता थी। ऐसे में आडवाणी ने बिशन सिंह से चुनाव लड़ने की बात कहीं।
पहले चुनाव में खर्च किए थे 38 रुपए
जब आडवाणी बिशन सिंह के घर पहुंचे तो उन्होंने कहा कि जनसंघ आपको सीकर की दातारामगढ़ सीट से चुनाव लड़वाना चाहता है। बिशन सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि मेरी नई-नई नौकरी लगी है इसलिए मैं चुनाव नहीं लड़ सकता। जब आडवाणी नहीं माने तो बिशन सिंह बोले कि मेरे भाई को लड़वा दो। भाई का नाम था भैंरोसिंह शेखावत। उधर पुलिस की नौकरी छोड़कर भैंरोसिंह शेखावत गांव में खेती-किसानी के काम में जुटे थे। ऐसे में जब बिशन सिंह ने कहा कि तुम्हें जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ना है तो उनकी जेब पूरी तरह से खाली थी। लेकिन उनके पास सीकर जिला मुख्यालय जाने के पैसे नहीं थे। इसके बाद वे अपनी पत्नी सूरज कंवर के पास पहुंचे तो पत्नी ने उनको 10 रुपए दिये।
ऊंट पर बैठकर किया प्रचार
भैंरोसिंह शेखावत ऊंट पर बैठकर चुनाव प्रचार करते थे। प्रचार के दौरान वे लोगों को वीर रस से भरी कविताएं सुनाया करते थे। चुनाव के बाद भैंरोसिंह शेखावत अच्छे खासे वोटों से चुनाव जीत गए। पहले चुनाव में भैंरोसिंह शेखावत को 9 हजार से अधिक वोट मिले। इस चुनाव में भैंरोसिंह ने 38 रुपए खर्च किए थे।
ऐसे गई पुलिस की नौकरी
भैंरोसिंह शेखावत ने पुलिस की नौकरी छोड़ी थी या निकाले गए थे इसको लेकर कई बार सवाल उठते है। जानकारी के अनुसार भैंरोसिंह एक बार अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखने टाॅकीज पहुंचे थे। उस टाॅकीज का नाम था हरदयाल टाॅकीज। इस टाॅकीज के मालिक सीकर रियासत के पुरोहित थे। टाॅकीज में उनका झगड़ा मैनेजर हो गया। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने भैंरोसिंह को तलब किया और इस्तीफा देने की बात कही। हालांकि इससे इतर भैंरोसिंह ने वाइस प्रेसिडेंट पद पर रहने के दौरान टीवी पत्रकार राजीव शुक्ला को दिए इंटरव्यू में कहा था कि मैंने पुलिस की नौकरी परिवार की आर्थिक हालत खराब होने के कारण छोड़ी।