जयपुर: जब से कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव की सरगर्मी तेज हुई है वैसे ही राजस्थान की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए अशोक गहलोत के नामांकन की खबर आने के बाद प्रदेश की राजनीति काफी दिलचस्प हो गई है। दिलचस्प होने की एक वजह ये है कि यदि वो इस पद के लिए चुन लिए जाते हैं तो उन्हें राजस्थान का सीएम पद छोड़ना होगा। उनके बाद इस पद पर सचिन पायलट सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।
ऐसे में बता दें कि सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान नहीं रहने वाली है। राजस्थान में कई मंत्री और विधायक खुलकर अशोक गहलोत के अध्यक्ष पद पर रहते हुए राजस्थान का मुख्यमंत्री बने रहने की वकालात कर रहे हैं। ऐसे में कई मंत्री- विधायकों की बयानबाजी मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं।
निर्दलीय विधायक सयंम लोढ़ा का मानना है कि अशोक गहलोत ही वो व्यक्ति है, जो सभी को साथ लेकर चल सकते हैं। उनकी निजी राय है कि मुख्यमंत्री पद कौन संभाले ये विधायकों की राय से आलाकमान ही तय करे। दरअसल, सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा ने ट्वीट कर लिखा- राजनीतिक फैसले नियम के आधार नहीं किए जा सकते। वक्त की नजाकत,जरुरत, राय, उपेक्षा सब का मिश्रण ही निर्णय की सफलता का मार्ग बना सकता है।
इसके बाद गहलोत के मंत्री सुभाष गर्ग ने सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा के ट्वीट पर लिखा- बिल्कुल सही लिखा। मुझे ध्यान है कि नीलम संजीव रेड्डी 1960 से 1963 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। तब 20 मार्च 1962 से 20 फरवरी 1964 तक आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गहलोत इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं है। पायलट को उड़ान भरने से रोकने के लिए दीवार खड़ी कर सकते हैं। यहीं कारण है कि पायलट के सीएम बनने पर फिलहाल सस्पेंस बना हुआ है। गहलोत समर्थक विधायक महेंद्र चौधरी का दावा है राज्य का बजट सीएम अशोक गहलोत ही पेश करेंगे।