Punjab News: पिछले महीने हुए लोकसभा चुनाव में पंजाब में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहा और पार्टी जालंधर, लुधियाना, अमृतसर जैसे शहरों की सीटें भी हार गई। आम आदमी पार्टी ने चाहे जालंधर वेस्ट विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव जीत लिया है, लेकिन फिर भी इस चुनाव को लेकर पार्टी नेतृत्व और खुद मुख्यमंत्री को जिस हद तक मेहनत करनी पड़ी उससे साफ लग रहा है कि आम आदमी पार्टी जल्द पंजाब में नगर निगम चुनाव का रिस्क नहीं ले सकती है। गौरतलब है कि कुछ महीनों बाद पंजाब में पंचायत स्तर के चुनाव होने हैं और उसके बाद ही पंजाब के शहरों में नगर निगम चुनाव संभव हो पाएंगे। इस हिसाब से राज्य के निगमों के चुनाव नवंबर दिसंबर से पहले होने संभव नहीं है और उसके बाद ही मेयर और काउंसलर चुने जा सकेंगे।
उलझी हुई है हर शहर की वार्डबंदी
पंजाब के शहरों में नगर निगमों के जो चुनाव होने हैं, उसके लिए वार्डबंदी का प्रोसेस चाहे फाइनल किया जा चुका है, लेकिन ज्यादातर शहरों की वार्डबंदी अभी भी अदालती चक्रव्यूह में उलझी हुई है और इसे सुलझाने के लिए आम आदमी पार्टी के कानूनी विशेषज्ञ एक्टिव हो गए हैं। गौरतलब है कि फगवाड़ा नगर निगम की वार्डबंदी को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है और उस मामले में पंजाब सरकार ने खुद स्टे आर्डर ले रखा है।
इसी तरह जालंधर, अमृतसर और लुधियाना नगर निगमों की वार्डबंदी को हाई कोर्ट में चैलेंज किया जा चुका है और जालंधर नगर निगम के मामले में हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 25 जुलाई को है। माना जा रहा है कि इस सुनवाई दौरान अमृतसर, लुधियाना और पटियाला नगर निगम से जुड़ी याचिकाएं भी सुनी जाएंगीं। फिलहाल, जालंधर निगम ने इस मामले में हाईकोर्ट में जवाबदावा तक फाइल नहीं किया है, जिससे साफ है कि पंजाब की अफसरशाही भी निगम चुनावों के प्रति गंभीरता नहीं दिखा रही है।
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