Punjab-Haryana High Court On Illegal Relation, चंडीगढ़: पंजाब से पारिवारिक रिश्ते-नातों को ताक पर रख एक पुलिस वाली ने एक नन्हे बालक की जिंदगी पर कब्जा कर लेने का मामला सामने आया है। हैरानी तो इस बात की है कि इस बच्चे को जन्म देने वाली डॉक्टर मां को कोर्ट से उसका बनता हक मिलता नजर नहीं आया। इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को फैमिली कोर्ट में जाने की सलाह दी है। हालांकि हाईकोर्ट ने विवाद का समाधान निकलने तक याचिकाकर्ता महिला को हफ्ते के आखिरी दो दिन अपने बच्चे से मिलने की राहत दी है।
मामला पंजाब के मानसा का है। हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाने वाली महिला पेशे से डॉक्टर है। उसने कोर्ट को बताया कि कोरोना संक्रमण काल में उसे ट्रेनिंग के लिए पुणे जाना था। उस दौरान वह अपने बेटे को माता-पिता और भाई-भाभी के पास छोड़कर गई थी। वापस आने के बाद पंजाब पुलिस में अधीक्षक (Superintendent of Police) के रूप में सेवा दे रही उसकी भाभी ने बच्चे को लौटाने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, एक साजिश के तहत गोदनामे पर जबरन साइन करवा लिए। अब इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि दो परिवारों के बीच आपसी विवाद के ऐसे मामलों का फैसला फैमिली कोर्ट करती है। उन्हें वहीं जाना चाहिए। अदालतें सभी मुद्दों से ऊपर बच्चे के हित को प्राथमिकता देती हैं।
बच्चे की कस्टडी पर फैसला फैमिली कोर्ट करेगी। उसके बाद जिसे भी अधिकार मिले, बच्चा उनके पास सहज महसूस करे। इसके लिए दोनों पक्षों के साथ उसका जुड़ाव जरूरी है। इसी के चलते उसे जन्म देने वाली और गोद ले चुकी दो महिलाओं को व दूसरे अभिभावकों को एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने का मौका देना चाहिए। गोद ले चुकी पंजाब पुलिस की अधिकारी सुनिश्चित करें कि हर सप्ताह के अंत में दो दिन बच्चे को उसके जैविक माता-पिता से मिलने का अधिकार दिया जाए। आपसी मतभेदों को एक तरफ रखकर रखकर बच्चे के कल्याण के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करना चाहिए कि नाबालिग पर अत्याचार न हो।
: doctor alleges for Illegal custody of child