KBC Season 15 Contestant Jaskaran Singh, तरनतारन: जनरल नॉलेज परख लोगों को करोड़पति बनाने वाले रियलिटी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति (KBC) के 15वें सीजन’ को पहला करोड़पति मिल गया है। पंजाब के स्कॉलर जसकरण सिंह अमिताभ बच्चन के सामाने बैठकर 7 करोड़ के सवाल का जवाब देने को तैयार हैं। बड़ी बात है कि पंजाब के सरहदी इलाके के छोटे से गांव से ताल्लुक रखते जसकरण को पांचवीं कोशिश में यह मुकाम हासिल हो पाया है। इससे पहले चार बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा, लेकिन जसकरण सिंह ने हार नहीं मानी। आइए जानें, कौन हैं KBC 15 के पहले करोड़पति जसकरण सिंह…
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अगले साल संघ लोक सेवा आयोग (UPSSC) की परीक्षा को पहली बार फेस करेंगे सरहदी जिला तरनतारन के गांव खालड़ा के रहने वाले जसकरण सिंह
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चार बार रिजेक्ट होने के बावजूद नहीं मानी हार, इस सीजन के पहले करोड़पति के घर लगा बधाई देने वालों का तांता
जसकरण सिंह पंजाब सरहदी जिला तरनतारन के छोटे से गांव खालड़ा के एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इनके पिता मेले में जलेबी और पकोड़े की दुकान लगाते हैं। जसकरण का सपना एक प्रशासनिक अधिकारी बनने का है। अगले साल वह संघ लोक सेवा आयोग (UPSSC) की परीक्षा को पहली बार फेस करेंगे। इससे पहले ही अपनी जनरल नॉलेज को परखने के लिए जसकरण सिंह एक बार नहीं, बल्कि पूरे चार बार कौन बनेगा करोड़पति (KBC) में जुगत लगा चुके हैं। जैसा कि एक पुरानी कहावत है, हारिये न हिम्मत, बिसारिये न राम’, अब जसकरण सिंह करोड़पति बन ही गए।
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तीन दिन पहले टेलीकास्ट हुए ‘कौन बनेगा करोड़पति (KBC) के 15वें सीजन’ में देखा जा सकता है कि जसकरण सिंह ने 1 करोड़ का सवाल जीत लिया और इसके बाद शो के होस्ट अमिताभ बच्चन ने उन्हें गले लगा लिया। अब जबकि हर किसी की नजर उस लम्हे पर है, जब जसकरण सिंह एक बार फिर अमिताभ के सामने बैठे 7 करोड़ रुपए के सवाल का जवाब दे रहे होंगे और बच्चन कहेंगे, ‘कंप्यूटर जी … Lock कर दिया जाए’। Sony Entertainment Television पर यह अंक 4 और 5 सितंबर को रात 9 बजे प्रसारित होगा। इसी के साथ जसकरण के घर बधाई देने वालों का भी तांता लगा हुआ है।
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ऐसे करते हैं तैयारी
उधर, मीडिया के साथ बात करते हुए गरीब परिवार के 21 वर्षीय मेहनती बेटे जसकरण सिंह ने इस कामयाबी के लिए अपने टीचर्स को श्रेय दिया है। दिलचस्प है कि जसकरण इस तैयारी (UPSC Exam) के लिए कोई कोचिंग वगैरह नहीं ले रहे हैं। लाइब्रेरी जाकर वह घंटों ज्ञान के समंदर में अकेले ही गोते लगाते हैं। कहीं कोई थोड़ा-बहुत संदेह होता है तो ऑनलाइन सर्च की मदद ले लेते हैं। इसके अलावा डीएवी कॉलेज के प्रोफेसर कमल किशोर और अपने गांव में फिजिक्स पढ़ाने वाले राकेश कुमार की भी थोड़ी-बहुत मदद ले लेते हैं। बहरहाल, बड़ी बात यह है कि मेहनत रंग लाई और कामयाबी कदम चूम रही है।