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मुंबई

Mumbai Serial Local Train Blasts 2006: सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, जानें अब आगे क्या हो सकता है?

Mumbai Train Blasts 2006: महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मुंबई ट्रेन धमाके 2006 के दोषियों को बरी किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सरकार की ओर से याचिका पर जल्द सुनवाई करने की मांग की गई। वहीं याचिका पर सुनवाई 2 दिन बाद होगी।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Jul 22, 2025 13:54
Supreme Court | Mumbai Train Blast 2006 | Maharashtra
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने याचिका पर सुनवाई की तारीख तय कर दी है।

Mumbai Train Blasts 2006 Update: जुलाई 2006 में हुए मुंबई सीरियल लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस के सभी 12 आरोपियों को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई से मामले की जल्द सुनवाई करने की मांग की है।

वहीं चीफ जस्टिस ने कहा कि 24 जुलाई को याचिका पर सुनवाई करेंगे। दूसरी ओर, केस से बरी हुए आरोपियों को अमरावती जेल से रिहा कर दिया गया है। इनमें तनवीर अहमद, मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, महाद मजीद, महाद शफी, सोयल मोहम्मद शेख, जमीर अहमद लतीफुर, रहमान शेख शामिल हैं।

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क्या कर सकती है सुप्रीम कोर्ट?

पीड़ितों को इंसाफ और दोषियों को सजा सुनिश्चित करना सुप्रीम कोर्ट का मेन टारगेट होगा। महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के गवाहों की विश्वसनीयता, कबूलनामों की वैधता और साक्ष्यों की समीक्षा करेगा। ATS की जांच और साक्ष्यों के रखरखाव में लापरवाही की जांच कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट या तो हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रख सकता है या फैसले को रद्द कर सकता है। मामले को नए सिरे से सुनवाई या फिर से जांच के लिए वापस भेज सकता है।

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क्या है महाराष्ट्र सरकार का तर्क?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दोषियों को बरी किए जाने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को बेहद चौंकाने वाला बताया। राज्य सरकार ने तर्क दिया है कि धमाकों का केस ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला था। ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया था। हाई कोर्ट के फैसले ने जांच में खामियों को उजागर किया है, जिन्हें सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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क्या कहते हैं पीड़ित?

बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर पीड़ितों के परिवारों ने दुख व्यक्त किया। एक पीड़ित के रिश्तेदार ने सवाल उठाया कि अगर यह 12 लोग धमाकों के लिए दोषी नहीं थे तो हमारे प्रियजनों को किसने मारा? कुछ पीड़ितों और धमाकों में घायल हुए लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा की है। उन्होंने मांग की है कि दोषियों को सजा दी जाए और केस की जांच की खामियों की समीक्षा की जाए।

क्या कहते हैं उज्जवल निकम?

मुंबई सीरियल लोकल ट्रेन बम धमाकों के सभी 12 दोषियों को बरी किए जाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि साल 2006 में मुंबई की 7 लोकल ट्रेनों में बम धमाके हुए थे, जिनमें 189 लोगों ने जान गंवाई थी। मैं अदालत के फैसले से दुखी हूं। प्रत्यक्षदर्शी गवाह थे और कुछ दोषियों ने अपना गुनाह कबूल भी कर लिया था। जांच में विसंगतियों को रोकने के लिए एजेंसियों के बीच समन्वय होना चाहिए। आगे अपील पर तत्काल सुनवाई होनी चाहिए और सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच होनी चाहिए, ताकि भारतीय न्यायपालिका का एक अच्छा संदेश जनता तक जाए।

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First published on: Jul 22, 2025 12:47 PM

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