Maharashtra Political Crisis: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर आज अपना फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का फैसला संविधान के मुताबिक नहीं है, हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि उद्धव ठाकरे के इस्तीफे को रद्द नहीं किया जा सकता है। अगर वे इस्तीफा नहीं देते तो उन्हें राहत मिल सकती थी।
इस पूरे प्रकरण की सुनवाई पांच जजों की खंडपीठ में पूरी कर ली थी। मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख लिया था। याचिका उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने ये फैसला सुनाया।
Supreme Court says the Speaker must decide on disqualification petitions within a reasonable time.
Supreme Court further states that the status quo cannot be restored as Uddhav Thackeray did not face the Floor test and tendered his resignation. Hence, the Governor was justified… https://t.co/Zn81QefXMl
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) May 11, 2023
वहीं, 16 विधायकों की अयोग्यता पर पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में विधानसभा स्पीकर फैसला लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया। इसलिए सबसे बड़े दल भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाना राज्यपाल द्वारा उचित ठहराया गया।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से विवेक का प्रयोग भारत के संविधान के अनुसार नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है।
Five-judge Constitution bench of CJI DY Chandrachud and Justices MR Shah, Krishna Murari, Hima Kohli and PS Narasimha to pronounce verdict today on a batch of petitions filed by rival factions Uddhav Thackeray and Chief Minister Eknath Shinde in relation to the Maharashtra… pic.twitter.com/sVPm14vd9G
— ANI (@ANI) May 11, 2023
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर शिंदे गुट के विधायक राहुल रमेश शेवाले ने कहा कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार को यह बड़ी राहत है। अब प्रदेश को स्थिर सरकार मिलेगी। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव गुट के आरोपों पर अपनी मुहर लगाई और तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले, स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले और भरत गोगावले (शिंदे गुट के नेता) की व्हिप की नियुक्ति को गलत ठहराया। कोर्ट ने मामले को सात जजों की बेंच को रेफर कर दिया। अब सात जजों की पीठ नबाम रेबिया, राज्यपाल तथा स्पीकर की भूमिकाओं पर फैसला लेगी।
सीजेआई ने 2016 के नबाम रेबिया मामला का जिक्र किया। नबाम रेबिया मामले में कहा गया था कि स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है, जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है, तो इसमें एक बड़ी पीठ के संदर्भ की आवश्यकता है।
क्या है नबाम रेबिया केस
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए अरुणाचल प्रदेश के बर्खास्त मुख्यमंत्री नबाम तुकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बहाल कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के उस निर्णय पर मुहर लगाई थी जिसमें कांग्रेस के बागी 14 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने पर रोक लगाया गया था।
#WATCH | Whether democracy is alive in this country or not will be decided tomorrow and it will also be decided if our judicial system is functioning under any pressure or not: Uddhav Thackeray faction MP Sanjay Raut
The Constitution Bench of SC is likely to deliver the judgment… pic.twitter.com/aBe9NxnNbh
— ANI (@ANI) May 10, 2023
क्या है पूरा मामला?
जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत कर दी थी। उनके साथ 15 विधायक भी थे। सभी पहले सूरत फिर गुवाहाटी में ठहरे थे। उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को विधायकों के साथ वापस लौटने के लिए बातचीत का प्रस्ताव दिया था। लेकिन शिंदे ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया। बाद में तत्कालीन विधानसभ स्पीकर ने शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को वापस आने के लिए कहा। एकनाथ ने पार्टी व्हिप का भी पालन नहीं किया।
बाद में उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। 30 जून को शिंदे ने भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने शिंदे और उनके 15 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के लिए याचिका दायर की थी। इसी मामले पर आज फैसला आएगा।
बता दें कि मामले में उद्धव ठाकरे कैंप की पैरवी सीनियर वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और देवदत्त कामत, अमित आनंद तिवारी जबकि सीनियर लॉयर एनके कौल, महेश जेठमलानी और मनिंदर सिंह ने शिंदे गुट का प्रतिनिधित्व किया।