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मुंबई

कबूतर विवाद से महाराष्ट्र में हलचल, जैन समाज ने नई पार्टी बनाकर फडणवीस सरकार को दी चेतावनी

Maharashtra News: मुंबई में कबूतरखानों को बंद करने पर राजनीती गर्म हो गई है. जैन समाज ने कबूतरों तथा अन्य जीवों की रक्षा के लिए एक नई पार्टी बना ली है. आज इस पार्टी का शंखनाद उन कबूतरों की शोकसभा से हुआ जिनकी जान कबूतरखानों के बंद होने से चली गई थी.

Author Written By: Ankush jaiswal Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Oct 11, 2025 14:49
bombay high court

Maharashtra News: मुंबई में कबूतरखाने पर लगी मुहर अब राजनीति के गलियारों में गरमा रही है. यह विवाद अब सिर्फ पक्षियों तक सीमित नहीं रहा है. इसमें अब धर्म और सत्ता दोनों की एंट्री हो चुकी है. बीएमसी के एक्शन के खिलाफ जैन समाज पहले से ही सड़कों पर उतरा था और अब जैन मुनियों ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है. इस नई पार्टी का नाम ‘शांतिदूत जलकल्याण पार्टी’ होगा, जो पशु-पक्षियों की सेवा और जीव रक्षा के लिए काम करेगी.

कबूतरों के लिए आयोजित शोकसभा

इस मामले शनिवार को मुंबई में जैन समाज ने कबूतरखाने बंद करने के विरोध में शोकसभा आयोजित की. इस दौरान ‘कबूतर बचाव धर्म सभा’ का आयोजन भी हुआ जिसमें उन कबूतरों को श्रद्धांजलि दी गई जिनकी जान कबूतरखाने बंद होने से चली गई. इस सभा में कई प्रमुख जैन मुनि मौजूद थे.

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मुख्य गुरु निलेश मुनि जी ने बोला तीखा हमला

इस शोकसभा के दौरान मुख्य गुरु निलेश मुनि जी ने कहा ‘मुझे पता है किस-किस ने इस सभा का विरोध किया है. शांतिदूत यानी कबूतर- हम भगवान महावीर से यही प्रार्थना करते हैं कि सभी जीवों की रक्षा हो. प्याज के कारण कांग्रेस की सरकार गई, मुर्गी के कारण शिवसेना की सरकार गई, अब कबूतरों के कारण किसकी जाएगी सोचिए’. उनका यह बयान सीधे तौर पर महाराष्ट्र की महायुति सरकार की तरफ इशारा कर रहा था.

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धर्मगुरुओं ने दी सरकार को चेतावनी बोले- ‘हम कम नहीं हैं’

जैन मुनियों ने कहा कि हमने यह आंदोलन सिर्फ कबूतरों के लिए नहीं बल्कि हर जीव की रक्षा के लिए शुरू किया है. सभा में मौजूद कई हिंदू धर्मगुरुओं ने भी महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी कि-‘धर्म सत्ता से ऊपर है. जब धर्मगुरु एकजुट हुए तो फडणवीस मुख्यमंत्री बने थे. अब अगर जीव हत्या के मामले उठे, तो पूरा संत समाज- नागा साधुओं सहित एकजुट होकर खड़ा होगा’.

बीएमसी पर कबूतरखाने का शिकंजा

दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद बीएमसी ने कई कबूतरखाने सील कर दिए हैं. प्रशासन का तर्क है कि कबूतरों के कारण सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी और बीमारियां फैल रही हैं. लेकिन जैन समाज का कहना है यह उनकी आस्था और जीवदया पर प्रहार है.

कबूतर विवाद बनेगा चुनावी मुद्दा?

अब सवाल यह है कि क्या यह ‘कबूतर विवाद’ आने वाले बीएमसी चुनावों में नया मुद्दा बन सकता है? क्या धर्म और जीवदया की राजनीति मुंबई की सत्ता की दिशा बदल देगी?

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First published on: Oct 11, 2025 02:49 PM

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