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मुंबई

कोल्हापुर में चरवाह से IPS बने बिरदेव डोणे, UPSC में हासिल किया 551वां रैंक

कोल्हापुर के यमगे गांव के बिरदेव सिद्धप्पा डोणे ने कठिन परिस्थितियों और बिना कोचिंग के UPSC में 551वीं रैंक हासिल की। चरवाहे के बेटे की कहानी संघर्ष, आत्मविश्वास और प्रेरणा की मिसाल है।

Author Written By: Vinod Jagdale Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Apr 25, 2025 13:25

मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से हम अपना कोई भी सपना हकीकत में बदल सकते हैं। इस बात को सच कर दिखाया है महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के यमगे गांव के बिरदेव सिद्धप्पा डोणे ने। बिरदेव एक साधारण चरवाहा परिवार से आते हैं, उन्होंने देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली UPSC परीक्षा पास कर, न सिर्फ अपने परिवार का बल्कि पूरे गांव और जिले का नाम रोशन किया है।

551वीं रैंक हासिल मिली

बिरदेव ने UPSC 2024 में 551वीं रैंक हासिल की है। यह उपलब्धि इसलिए और खास बन जाती है क्योंकि उन्होंने बिना किसी कोचिंग और बिना किसी गाइडेंस के परीक्षा देकर सफलता हासिल की है। जब परिणाम घोषित हुआ, उस वक्त बिरदेव अपने माता-पिता के साथ बेलगांव जिले के अथणी क्षेत्र में भेड़ों को चरा रहे थे। आज भी उनका परिवार एक झोपड़ी में रहता है, जहां स्थानीय लोग बिरदेव का जोरदार सत्कार कर रहे हैं।

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मेहनत का फल मिला

यह रास्ता बिरदेव के लिए आसान नहीं था। उन्हें 2 बार UPSC में असफलता मिली है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। तीसरे प्रयास में उन्होंने वह कर दिखाया जिसे लोग सिर्फ सपना मानते हैं। उन्होंने कभी किसी बड़े शहर की कोचिंग या किसी अधिकारी से मार्गदर्शन नहीं लिया। यह सफलता उनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रमाण है।

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युवाओं के लिए प्रेरणा

महज 27 साल की आयु में देश की सर्वोच्च सेवाओं में स्थान पाकर बिरदेव उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं, जो कठिन परिस्थितियों में रहने के बावजूद भी कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं। उन्होंने यह भी दिखाया कि संसाधनों की कमी, ग्रामीण क्षेत्र या आर्थिक तंगी किसी की सफलता में कभी कोई बाधा नहीं बन सकती, अगर आपके मन में सच्ची लगन और जीत की आशा हो।

बिरदेव की कहानी देश के हर युवा को यह सिखाती है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।

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First published on: Apr 25, 2025 01:25 PM

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