Maharashtra: महाराष्ट्र में असली-नकली शिवसेना पर चुनाव आयोग का रुख स्पष्ट होने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने ट्वीटर अकाउंट का डिस्प्ले बदल दिया है। उन्होंने अपनी तस्वीर के साथ अब शिवसेना के धनुष और तीर निशान को लगाया है। इस बीच बयानबाजी भी शुरू हो गई है।
एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग के फैसले को बाला साहब ठाकरे की जीत कहा है। वहीं सांसद संजय राउत ने इसे लोकतंत्र की हत्या करने जैसा फैसला करार दिया है। फिलहाल शिंदे गुट में जश्न है। मुंबई में लोगों ने पटाखे जलाकर अपनी खुशी का इजहार किया है।
सीएम शिंदे बोले- देश संविधान पर चलता है
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह देश बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान पर चलता है। हमने उस संविधान के आधार पर अपनी सरकार बनाई। चुनाव आयोग का आज जो आदेश आया है वह मेरिट के आधार पर है। मैं चुनाव आयोग का आभार व्यक्त करता हूं।
यह हमारे कार्यकर्ताओं, सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों और लाखों शिवसैनिकों सहित बालासाहेब और आनंद दीघे की विचारधाराओं की जीत है। यह लोकतंत्र की जीत है।
डिप्टी सीएम फडणवीस ने कहा- हम पहले से आश्वस्त थे
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना को शिवसेना का चिन्ह और नाम मिला है। असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की शिवसेना बनी है। हम पहले दिन से आश्वस्त थे क्योंकि चुनाव आयोग के अलग पार्टियों के बारे में इसके पहले के निर्णय देखे तो इसी प्रकार का निर्णय आए हैं।
संजय राउत बोले- देश में लोकतंत्र बचा ही नहीं
राज्यसभा सांसद संजय राउत ने चुनाव आयोग के फैसले पर भाजपा सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा, ‘देश में लोकतंत्र बचा ही नहीं है। सब गुलाम बनकर बैठे हैं, ये लोकतंत्र की हत्या है। इस सरकार ने करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया है, वो पानी कहां तक पहुंचा है ये दिख रहा है। हमें फिक्र करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जनता हमारे साथ है। हम नया चिह्न लेकर जाएंगे और फिर एक बार यही शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे।
अब जानिए चुनाव आयोग ने क्या कहा?
महाराष्ट्र में शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच मचे घमासान को लेकर शुक्रवार को चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को ही असली शिवसेना मान लिया है। इसके अलावा शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान तीर-कमान भी इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है।
आयोग का कहना है कि उद्धव ठाकरे गुट का पार्टी का संविधान अलोकतांत्रिक है। इसमें लोगों को बिना किसी चुनाव के नियुक्त किया गया था। आयोग ने यह भी पाया है कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लिया जा चुका है। इससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई। इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका है। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद अब उद्धव गुट की शिवसेना पर दावेदारी खत्म मानी जा रही है।
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