---विज्ञापन---

पूर्व IPS मीरा की किताब Madam Commissioner में खुलासा- कसाब को नहीं दी गई बिरयानी, फिट रहने के लिए करता था कसरत

Former IPS Meera Borvankar Book Madam Commissioner: बोरवणकर ने अपनी किताब में लिखा है कि जेल में कभी भी कसाब को बिरयानी जैसी कोई स्पेशल डिश नहीं परोसी गई थी।

Edited By : Shailendra Pandey | Updated: Oct 17, 2023 15:11
Share :
Former IPS Meera Borvankar, Terrorist Ajmal Kasab, Book Madam Commissioner, Ajmal Kasab, Hindi News, Meera Borvankar

अंकुश जयसवाल, पूणे: पूर्व आईपीएस अफसर मीरा बोरवणकर की किताब , ‘MADAM COMMISSIONER: THE EXTRAORDINARY LIFE OF AN INDIAN POLICE CHIEF’, हाल ही में प्रकाशित हुई है, और तभी से यह किताब चर्चा का विषय बनी हुई है। इस किताब में, अजित पवार पर लगाए गए आरोपों से महाराष्ट्र के राजनैतिक गलियारों में तहलका तो मचा हुआ है ही, साथ में इस किताब में आतंकी अजमल कसाब और उसकी फांसी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी भी सामने आई है। अजमल कसाब को मीरा बोरवणकर के ही देखरेख में फांसी दी गई थी।

कसरत करके खुद को व्यस्त रखता था कसाब

बोरवणकर ने अपनी किताब में लिखा है कि जेल में कभी भी कसाब को बिरयानी जैसी कोई स्पेशल डिश नहीं परोसी गई थी। मैंने जब भी कसाब से बात की, तो वह शांत रहता या मुस्कुराता था। मैं जब भी कसाब से आर्थर रोड मिलने जाती तो, हाई सिक्योरिटी से गुजरना पड़ता। जेल में कसाब के सुरक्षा का जिम्मा इंडियन टिबेटियन बॉर्डर पुलिस का था। सुरक्षा के लिहाज से केंद्र की यह फोर्स राज्य के पुलिस से काफी प्रोफेशनल है। सुरक्षा का बाहरी घेरा इंडियन टिबेटियन बॉर्डर पुलिस का था जबकि, अंदरूनी सुरक्षा जेल के सबसे काबिल अफसरों पर थी। उन्होंने आगे लिखा है कि जेल के अधिकारी और डॉक्टर्स कसाब के स्वास्थ्य और डाइट का विशेष ध्यान रखते थे। मुझे जेल के अफसरों द्वारा बताया गया कि कसाब जेल के अंदर कसरत करके अपने आप को व्यस्त रखता।

26 नवंबर 2008 की रात मुंबई पर हुआ था हमला

बता दें कि अजमल कसाब और उसके अन्य 9 साथियों ने मिलकर 26 नवंबर 2008 की रात मुंबई पर हमला बोला था। अत्याधुनिक हथियारों से लैस यह आतंकी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे। 10 आतंकियों ने मिलकर सीएसटी रेलवे स्टेशन, ताज होटल, ओबेरॉय होटल जैसे महत्वपूर्ण ठिकाने को निशाना बनाया था। इस दौरान लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग कर, हैंड ग्रेनेड फेंके गए थे। हालांकि, इस हमले के दौरान जवाबी कार्यवाही में अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था और बाकी 9 अन्य आतंकी मार गिराए गए थे।

यह भी पढ़ें- Watch Video: मुंबई-गोवा फोरलेन हाईवे का निर्माणाधीन पिलर ढहा, हादसे के बाद जुटी भीड़; मशीन क्षतिग्रस्त

ट्रायल के बाद 3 मई 2010 को अजमल कसाब को विशेष कोर्ट द्वारा मुंबई हमले का दोषी करार दिया गया और 6 मई को उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद में यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा और आखिरकार 21 नवंबर 2012 को उसे फांसी दे दी गई थी।अजमल कसाब पकिस्तान का रहने वाला था, वह आतंकी संगठन लश्कर- ए-तैयबा से जुड़ा था और पकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में उसने ट्रेनिंग ली थी।

फांसी की योजना को गुप्त रखा गया

मीरा बोरवणकर ने कसाब की फांसी के बारे में अपने किताब में लिखा है कि राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री आर आर पाटिल कसाब के फांसी के प्रक्रिया के बारे में जानना चाहते थे और इस सिलसिले में पाटिल ने उन्हें पुणे के सर्किट हॉउस में मुलाकात के लिए बुलाया था। इस दौरान गृह मंत्री ने बताया की कसाब की फांसी अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है और दुनिया के कुछ देश इसमें हस्तक्षेप कर सकते हैं। इसके बाद कसाब की फांसी को लेकर योजना बनाई गई और इसे गुप्त रखा गया।

येरवदा जेल में दी गई थी फांसी

उन्होंने बताया कि कई अफसरों को यह तक नहीं पता था कि कसाब को मुंबई से पुणे ले जाना है। कसाब की फांसी और उससे जुड़ी जानकारी काफी सीमित अफसरों को ही थी, कई अफसर मुझसे नाराज भी हो गए थे। कसाब को पुणे के येरवदा जेल में फांसी दी गई। एक्सरसाइज करके कसाब ने अपना वजन काफी घटाया था। इसलिए खूंखार आतंकी फांसी वाले दिन बिल्कुल बच्चा लग रहा था। फांसी के बाद इसकी जानकारी तत्कालीन गृह मंत्री आर आर पाटिल को दी गई थी।

 

HISTORY

Written By

Shailendra Pandey

First published on: Oct 17, 2023 03:11 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें