Devendra Fadnavis Oath Ceremony: बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस आज शाम 5 बजे आजाद मैदान में सीएम पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी समेत एनडीए शासित राज्यों के सीएम भी शामिल होंगे। महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी के पहले सीएम बने देवेंद्र फडणवीस आज तीसरी बार सीएम बनने जा रहे हैं। इससे पहले 2014 में 5 साल और दूसरी बार 2019 में 80 घंटे के लिए सीएम रह चुके हैं। फडणवीस आज के समय महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी के लिए सबसे बड़े नेता हैं। ऐसे में आइये जानते हैं बतौर सीएम तीसरा कार्यकाल शुरू करने जा रहे फडणवीस के सामने कौनसी चुनौतियां होगी?
लाडकी बहिण योजना
महाराष्ट्र में महायुति की जीत में लाडकी बहिण योजना की बड़ी भूमिका रही है। महाराष्ट्र में इस योजना के तहत महिलाओं को 1500 रुपये दिये जाते हैं। चुनाव से पहले महायुति ने घोषणा की थी कि अगर वे सत्ता में लौटते हैं तो यह रकम बढ़ाकर 2100 रुपये कर दी जाएगी। इस योजना से सरकार के खजाने पर 46 हजार करोड़ रुपये का बोझ आएगा। ऐसे में सरकार को इस योजना को जारी रखने के लिए आर्थिक चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है।
राज्य की आर्थिक सेहत
फडणवीस के सामने दूसरी बड़ी चुनौती राज्य की आर्थिक सेहत है। इकोनाॅमिक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 में महाराष्ट्र सरकार पर 7 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है। इस सबके बीच प्रदेश में निवेश लाना फडणवीस के लिए बड़ी चुनौती है। एमवीए लगातार यह आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार बड़े उद्योगों को गुजरात की ओर ले जा रही है। ऐसे में रोजगार की दृष्टि से अर्थव्यवस्था और निवेश के लिए महाराष्ट्र को निवेशकों की पहली पसंद बनाना फडणवीस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
महायुति की गारंटियां
महायुति ने चुनाव के दौरान किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था। आर्थिक जानकारों की मानें तो अगर सरकार यह वादा पूरी करती है तो खजाने पर 2 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ आएगा। जोकि फडणवीस सरकार के लिए तीसरी बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा महायुति ने सभी जातियों के वेलफेयर बोर्ड बनाने की घोषणा की थी, जोकि फडणवीस सरकार की आर्थिक सेहत के हिसाब से कतई ठीक नहीं कहा जा सकता। हालांकि जातियों को प्रतिनिधित्व देकर वे उन्हें चुनावी फायदे के लिए जरूर साध सकते हैं।
निकाय चुनाव बड़ी चुनौती
फडणवीस के सामने चौथी बड़ी चुनौती निकाय चुनाव में पार्टी को ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दिलाना है। चुनाव के चलते निकाय चुनाव पहले ही आगे खिसकाए जा चुके हैं। ऐसे में निकाय चुनाव में शिवसेना और एनसीपी को साधना उनके लिए बड़ी चुनौती होगा। शिवसेना के विधायक पहले ही कह चुके हैं कि सीएम पद का बलिदान देने के बाद निकाय चुनाव में उन्हें अधिक से अधिक हिस्सेदारी गठबंधन में चाहिए। ताकि उसके असंतुष्ट नेताओं को मनाया जा सके।
ब्यूरोक्रेसी और साथियों को साधना
फडणवीस के सामने पांचवी बड़ी चुनौती ब्यूरोक्रेसी है। फडणवीस कुशल संगठनकर्ता होने के साथ-साथ अच्छे प्रशासक भी माने जाते हैं। ये उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में साबित भी किया है, लेकिन सीएम के तौर तीसरी पारी की शुरुआत कर रहे फडणवीस के लिए ये बड़ी चुनौती है। इसकी वजह शिवसेना और एनसीपी है क्योंकि दोनों पार्टियों से सामंजस्य बैठाना और उन्हें साथ लेकर चलना ना सिर्फ उनकी मजबूरी होगी, बल्कि सरकार चलाने के लिए भी जरूरी है।
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