आदिवासी राजनीति के प्रभावशाली और वरिष्ठतम चेहरों में गिने जाने वाले अरविंद नेताम 5 जून को नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्मृति मंदिर परिसर, रेशिमबाग में आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। यह कार्यक्रम संघ के द्वितीय वर्ष ‘अखिल भारतीय कार्यकर्ता विकास वर्ग’ के समापन अवसर पर आयोजित हो रहा है, जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत स्वयं उपस्थित रहेंगे। इस मंच पर नेताम और भागवत की साझा उपस्थिति को राजनीतिक और वैचारिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
83 वर्षीय अरविंद नेताम इंदिरा गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकारों में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और लंबे समय तक कांग्रेस की आदिवासी राजनीति के महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते रहे हैं। वे मध्य प्रदेश (वर्तमान छत्तीसगढ़) से लोकसभा के सदस्य रहे और बस्तर अंचल में आदिवासी चेतना के एक सशक्त प्रतिनिधि के रूप में उनकी पहचान रही है।
यह भी पढ़ें : ‘कल्याण के लिए शक्ति जरूरी…’, पाकिस्तान से तनाव के बीच संघ प्रमुख ने भारत को बताया दुनिया का ‘बड़ा भाई’
अरविंद नेताम ने अगस्त 2023 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जब छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पार्टी में टिकट वितरण को लेकर आंतरिक असंतोष सामने आ रहा था। इसके बाद से वे औपचारिक रूप से किसी दल से नहीं जुड़े, लेकिन उनकी वैचारिक गतिविधियों पर नजर बनी रही।
संघ की रणनीति में आदिवासी नेतृत्व की भूमिका
बीते कुछ सालों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आदिवासी समुदायों के बीच सक्रियता बढ़ा रहा है और कई राज्यों में वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संगठनों के माध्यम से जमीनी स्तर पर कार्य कर रहा है। ऐसे में अरविंद नेताम जैसे वयोवृद्ध और प्रतिष्ठित आदिवासी नेता की मंच पर मौजूदगी को संघ की आदिवासी नीति के एक प्रतीकात्मक विस्तार के रूप में देखा जा सकता है। यह उपस्थिति न सिर्फ संघ के लिए वैचारिक विविधता को दर्शाने वाली रणनीति है, बल्कि छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में आदिवासी राजनीति को पुनर्परिभाषित करने का प्रयास भी हो सकता है।
2018 में प्रणव मुखर्जी मुख्य अतिथि के रूप में हुए थे शामिल
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के किसी दिग्गज नेता को संघ के कार्यक्रम में मंच मिल रहा है। इससे पहले जून 2018 में पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे प्रणब मुखर्जी भी नागपुर स्थित संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। उस वक्त उनकी उपस्थिति पर देशभर में तीखी राजनीतिक बहस छिड़ गई थी। हालांकि, प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में भारतीय राष्ट्रवाद की परिकल्पना को लेकर स्वतंत्र दृष्टिकोण रखते हुए ‘संविधान और सहिष्णुता’ की बात कही थी।
क्या संकेत दे रहे हैं नेताम?
अब अरविंद नेताम की संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करने की तैयारी को एक और वैचारिक खेमे के परिवर्तन या संवाद की प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नेताम इस कार्यक्रम में क्या विचार रखते हैं? क्या वे इसे सामाजिक समरसता के मंच के रूप में इस्तेमाल करेंगे या फिर संघ के वैचारिक विमर्श में किसी तरह की सहभागिता जताएंगे? छत्तीसगढ़ और समूचे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में राजनीतिक प्रभाव रखने वाले अरविंद नेताम की संघ कार्यक्रम में भागीदारी निश्चित रूप से केवल औपचारिकता नहीं मानी जा सकती। यह घटनाक्रम संघ की दीर्घकालिक रणनीति, कांग्रेस से टूटते रिश्तों और आदिवासी राजनीति में एक नए विमर्श की संभावित शुरुआत का संकेत हो सकता है।
यह भी पढ़ें : वाराणसी में RSS प्रमुख भागवत ने किया कन्यादान, दूल्हे से बोले- ‘मेरी बेटी का ख्याल रखना’