MP High Court on Love Adultery: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा फेमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की व्यभिचार को लेकर पुनरीक्षण याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शारीरिक संबंध के बिना पत्नी का किसी दूसरे शख्स से प्यार करना व्यभिचार (Adultery) नहीं है। एमपी हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर पत्नी पति के अलावा किसी और शख्स से प्यार करती है, लेकिन इसमें शारीरिक संबंध नहीं है तो यह व्यभिचार नहीं माना जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने व्यभिचार की परिभाषा बताते हुए कहा कि इसमें यौन संभोग अनिवार्य तत्व है।
जस्टिस जीएस ने सुनाया फैसला
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने यह फैसला सुनाया है। दरअसल, हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के खिलाफ व्यभिचार को लेकर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए की। व्यक्ति ने तर्क दिया कि उसकी पत्नी किसी और व्यक्ति से प्यार करती है, इसलिए वह भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी और कहा कि सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव व्यभिचार नहीं है।
किसी और से प्यार करना व्यभिचार नहीं
बार एंड बेंच ने 17 जनवरी के अपने आदेश में हाई कोर्ट के कथन का हवाला देते हुए कहा कि व्यभिचार का अर्थ अनिवार्य रूप से यौन संबंध है। फिर चाहे पत्नी किसी और व्यक्ति से ही प्यार क्यों न करती हो। लेकिन अगर पत्नी का उस व्यक्ति के साथ कोई शारीरिक संबंध नहीं है, तो यह व्यभिचार नहीं माना जाएगा।
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कोर्ट ने क्या कहा?
इसके साथ ही कोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 144(5) और CRPC की धारा 125(4) का भी हवाला दिया, जिसमें साफ कहा गया है कि पत्नी को भरण-पोषण से तभी वंचित किया जा सकता है, जब यह साबित हो जाए कि वह व्यभिचार में रह रही है। इसके साथ ही कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि शारीरिक संबंध के सबूत के बिना पत्नी पर व्यभिचार का आरोप कायम नहीं रह सकता।