भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन विस्फोट मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है। दरअसल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस ट्रेन विस्फोट मामले में एक आदेश जारी किया है। जिसमें कोर्ट ने कहा कि इस केस के नाबालिग आरोपी के मामले की सुनवाई का अधिकार NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) की स्पेशल कोर्ट का नहीं, बल्कि किशोर न्याय बोर्ड के पास है। साल 2017 में हुए इस हमले को 8 साल पूरे हो चुके हैं। हाई कोर्ट ने टिप्पणी भोपाल जिला कोर्ट द्वारा मांगी गई सलाह के जवाब में की है।
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
दरअसल, भोपाल के जिला अदालत ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में रेफरेंस भेजकर नाबालिग आतंकी के मामले की सुनवाई के लिए अदालत के चयन को लेकर एमपी हाई कोर्ट से मार्गदर्शन मांगा था। इस पर एमपी हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की बेंच ने कहा कि आरोपी के साथ अब भले ही वयस्क की तरह व्यवहार किया जाए, लेकिन उसके मामले की सुनवाई का अधिकार सिर्फ किशोर न्याय बोर्ड के पास ही है। इसलिए किशोर न्याय बोर्ड में ही नाबालिग आरोपी की सुनवाई जारी रहेगी। इस दौरान बेंच ने टिप्पणी की कि फिलहाल इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और NIA अधिनियम 2008 दोनों ही लागू हैं। लेकिन जुवेनाइल जस्टिस एक्ट किसी भी कानून पर अधिक प्रभावी है।
जबलपुर
2017 में हुए भोपाल-उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट मामले के नाबालिग आतंकी को लेकर MP हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
---विज्ञापन---भोपाल जिला अदालत ने HC से नाबालिग आतंकी के मामले की सुनवाई को लेकर मार्गदर्शन मांगा था
जस्टिस संजय द्विवेदी के बैंच की टिप्पणी
सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में जारी रहेगी pic.twitter.com/NHSahQXPN7
— Pooja Mishra (@PoojaMishr73204) May 23, 2025
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मार्च 2017 में हुआ था विस्फोट
मालूम हो कि मार्च 2017 में शाजापुर जिले के जबड़ी स्टेशन पर भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में 10 लोग घायल हो गए थे। इस ट्रेन ब्लास्ट मामले में NIA ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें एक नाबालिग था। NIA ने आरोपी नाबालिग आतंकी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था।