MP Assembly Election: जग में सुंदर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम,बोलो राम बोलो श्याम। इन्हीं लाइनों को चुनावी साल में नेता गुनगुनाते और इनसे जुड़े आयोजन कराते हुए नजर आ रहे हैं। ‘मिशन-2023’ की तैयारियों में सभी पार्टियां जुटी है तो वहीं चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदार भी टिकट के लिए अपने जुगाड़ जमाने में लगे हुए हैं। टिकट की दावेदारी पुख्ता करने के लिए इन दिनों बीजेपी कांग्रेस के नेता कथा, भागवत का सहारा ले रहे हैं तो क्या यह माना जाए कि इस बार राम कथा कृष्ण कथा और भागवत से भी टिकट पक्का हो सकता है?।
ग्वालियर-चंबल पर बीजेपी कांग्रेस का फोकस
मध्य प्रदेश की राजनीति का मुख्य गढ़ ग्वालियर चंबल अंचल को माना जाता है और इसी ग्वालियर में इन दिनों टिकट के दावेदार अपना दावा मजबूत करने के लिए कथा भागवत और धार्मिक आयोजनों का सहारा ले रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनूप मिश्रा, मंत्री भारत सिंह कुशवाह, राजेश सोलंकी राम कथा और भागवत कथा का आयोजन करवा चुके हैं।
वहीं कांग्रेस के नेता भी इस मामले में पीछे नहीं है। योगेंद्र सिंह तोमर शिव कथा रुद्राक्ष वितरण, अशोक सिंह राम कथा करवा चुके हैं, वहीं मितेंद्र दर्शन सिंह धार्मिक आयोजन श्री कृष्ण कथा को कराने जा रहे हैं। खास बात यह है कि इन आयोजनों में पार्टी के बड़े नेताओं का आगमन हो रहा है। जिससे राजनीतिक माहौल बना रहता है।
दोनों पार्टियों के अपने-अपने तर्क
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां मानती है कि धार्मिक आयोजन कराने से जनता उन से जुड़ती है कथा भागवत के बहाने लोग भगवान को याद करते हैं। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री बालेंद्र शुक्ला का कहना है कि कथा से राजनीतिक जीवन में संघर्ष करने का हौसला और प्रेरणा मिलती है यही वजह है कि यदि कोई दावेदार ऐसे धार्मिक आयोजन करता है तो इसमें कोई बुराई नहीं होना चाहिए।
कांग्रेस नेता के इस बयान बयान से मिलाजुला ही बयान बीजेपी का भी सामने आया है। बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य कमल मखीजानी का कहना है कि कथा भागवत से मन को शांति मिलती है अगर इसके पीछे टिकट पाने का मकसद भी है तो कोई बुराई नहीं है, नेता अगर जीवन में राजनीति के साथ धार्मिक आयोजन भी करे तो कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के इस तरह के आयोजनों को सीधे राजनीति से जोड़कर देखना गलत है।
नेता कुछ भी कहे लेकिन चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे बीजेपी कांग्रेस सहित अन्य दलों के टिकट के दावेदार नेताओ की तरफ से धार्मिक आयोजनों की बाढ़ आएगी, यह टिकट का मामला है, इस टिकट के लिए नेता सब कुछ करेंगे। लेकिन क्या उनकी यह मेहनत रंग लाएगी यह आने वाले वक्त में देखना होगा।