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MP विधानसभा चुनाव में ‘सर्वे’ ही सर्वेसर्वा, BJP-कांग्रेस इसी आधार पर करेगी प्रत्याशियों का चयन

MP Assembly Election: मध्य प्रदेश में साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस पूरा जोर लगाती नजर आ रही है। खास बात यह है कि इस बार दोनों ही पार्टियों में प्रत्याशियों की लंबी कतार नजर आ रही है। ऐसे में मिशन-2023 के लिए सर्वे ही सर्वेसर्वा माना जा रहा […]

Edited By : Arpit Pandey | Updated: Jul 13, 2023 18:41
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mp assembly election bjp congress
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MP Assembly Election: मध्य प्रदेश में साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस पूरा जोर लगाती नजर आ रही है। खास बात यह है कि इस बार दोनों ही पार्टियों में प्रत्याशियों की लंबी कतार नजर आ रही है। ऐसे में मिशन-2023 के लिए सर्वे ही सर्वेसर्वा माना जा रहा है। यानि टिकट वितरण को लेकर दोनों दलों की स्थिति स्पष्ट है कि सर्वे में जो प्रत्याशी उपर आएगा टिकट उसे ही दिया जाएगा।

दरअसल, बीजेपी हो या कांग्रेस टिकट वितरण में इस बार सिर्फ और सिर्फ सर्वे की चलेगी। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि दोनों पार्टियों के नेता कह रहे हैं। चुनावी समर में विजयी होने के लिए ऐढ़ी-चोटी का जोर लगा रहे दोनों दलों के केंद्रीय नेतृत्व ने तय कर लिया है कि इस बार नेताओं की सिफारिश पर नहीं बल्कि सर्वे के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे। यानि जो प्रत्याशी जिताऊ होगा टिकट उसे ही दिया जाएगा।

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सर्वे के सियासी समीकरण

टिकट विरतण के सर्वे के औसत में आपका नाम नंबर वन पर है तो ही आपका टिकट पक्का है, क्योंकि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार आला नेताओं की नहीं बल्कि सिर्फ सर्वे की चलेगी। ऐसा इसलिए हो रहा कि टिकट आला नेताओं के अनुयायियों को नहीं बल्कि सत्ता की कुर्सी तक पहंचाने वाले प्रत्याशी यानी जीतने वाले कैंडिडेट को ही मिले। टिकट की दौड़ में शामिल दोनों की दलों के नेताओं को यह स्थिति स्पष्ट कर दी है। इसलिए प्रत्याशी भी अपने-अपने नंबर बढ़ाने के लिए जी जान से जुटे हुए नजर आ रहे हैं।

पहले से हो गई थी तैयारी

हालांकि ऐसा नहीं है कि बीजेपी-कांग्रेस ने इसकी तैयारी हाल ही में की है। बल्कि यह तैयारी पहले से ही चल रही थी। प्रदेश में बीच में हुई सत्ता परिवर्तन और उपचुनाव के बाद से ही बीजेपी-कांग्रेस ने इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। इसी करण 2021 से ही दोनों दलों की ओर से विधायक और दावेदारों को लेकर हर तीन-चार महीने में सर्वे कराया जा रहा था। अब दलों ने स्पष्ट कर दिया है कि सर्वे ही सर्वेसर्वा है।

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बीजेपी का सर्वे

  • विधायकों की स्थिति, दावेदारों की स्थिति को लेकर संघ कई बार सर्वे कराकर बीजेपी को रिपोर्ट सौंप चुका है।
    बीजेपी की ओर से कई स्तर पर सर्वे हुआ है और आगे भी होगा। केंद्रीय टीमों के साथ सरकार और प्रदेश संगठन सर्वे करा चुका है।
  • इंटेलीजेंस भी समय पर सरकार को विधायकों का फीड-बैक देती है।
  • खुद के आकलन के लिए कुछ विधायक और विधायक पद के दावेदारों ने भी निजी एजेंसियों ने अपना सर्वे करवाया है।

कांग्रेस का सर्वे

  • कांग्रेस में सबसे अहम सर्वे पीसीसी चीफ कमलनाथ का है। कमलनाथ कभी तीन महीने में तो कभी महीनेभर में
  • विधायकों की जमीनी रिपोर्ट उनके सामने रखते आए हैं।
  • कमलनाथ संगठन के दूसरे नंबर के नेताओं से भी विधायक और दावेदारों को रिपोर्ट लेते रहते हैं।
  • कांग्रेस की केंद्रीय टीम ने भी मध्य प्रदेश में सर्वे किया है।
  • कांग्रेस के कुछ विधायक और दावेदार भी अपना सर्वे कराकर बैठे हुए हैं।

इन सर्वे के अलावा निजी एजेसियां भी चुनावी समीकरणों को लेकर अपना सर्वे कर रही हैं। दोनों प्रमुख दलों की इन एजेंसियों के सर्वे पर भी निगाह टिकी है। इन तमाम सर्वे के औसत में अव्वल आने वालों को ही टिकट देने की तैयारी है, लेकिन इस फॉमूले के सर्वेसर्वा तो मतदाता हैं, जो मत का उपयोग कर सर्वे के समीकरणों पर अंतिम मोहर लगाएंगे।

भोपाल से राकेश चतुर्वेदी की रिपोर्ट

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Edited By

Arpit Pandey

First published on: Jul 13, 2023 06:41 PM

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