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MP में ओवरऑल वोटिंग बढ़ी, पर BJP के 28 विधायकों की सीटों समेत 50 पर घटी; कांग्रेस के 20 MLA के हलकों में भी यही हाल

MP Assembly Election 2023 : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद तीन दिन बाद अब आंकड़ों और इनसे होने वाले नुकसान को लेकर राजनैतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो चुका है।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Nov 21, 2023 00:31
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MP Assembly Election 2023, भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा  चुनाव के लिए तीन दिन पहले सभी 230 सीटों पर मतदान प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस समेत विभिन्न राजनैतिक दल अपने-अपने पक्ष में मतदान के दावे कर रहे हैं, इसी बीच सामने आए आंकड़े कुछ और ही कहानी कहानी कह रहे हैं। इन आंकड़ों पर गौर करें तो पूरे राज्य के मतदान में भले ही पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है, लेकिन सत्तापक्ष के 9 मंत्रियों समेत 28 सिटिंग विधायकों के हलके में वोटिंग में इस बार कमी दर्ज की गई है। कुछ इसी तरह का हाल कांग्रेस के 20 सिटिंग एमएलए की सीटों का भी है। बहरहाल, हर किसी की नजरें 3 दिसंबर को होने वाले मतगणना पर हैं और इसी बीच वोटिंग मशीनों की सुरक्षा को लेकर भी सियासत शुरू हो चुकी है।

पिछले चुनाव से डेढ़ फीसदी वोटिंग ज्यादा हुई इस बार

बता दें कि मध्य प्रदेश में 17 नवम्बर को 73.69 फीसदी मतदान हुआ है। 2018 के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार डेढ़ फीसदी वोटिंग ज्यादा हुई है, वहीं 230 सीटों में से 50 सीट पर वोटिंग घटी है। जौरा, दिमनी, भिंड, खुरई, पवई, गुन्नौर, चित्रकूट, रैगांव, नागौद, मैहर, अमनपाटन, रामपुर बघेलन, सिरमौर, त्योंथर, गुढ़, ब्योहारी, भैंसदेही, सिवनी-मालवा सीटें शामिल हैं। भोपाल की चार विधानसभा सीटों नरेला, भोपाल दक्षिण पश्चिम, भोपाल मध्य और हुजूर में भी इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले वोट प्रतिशत घटा है। इसके अलावा राजगढ़, देवास, खातेगांव, बागली, खरगोन, कुक्षी, सांवेर और देपालपुर पर भी कुछ यही स्थिति रही।

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किस मंत्री की सीट पर कितना घटना मतदान?

खास बात यह है कि इनमें भारतीय जनता पार्टी के मंत्री प्रेम सिंह पटेल की बड़वानी विधानसभा में 2018 में 77.84 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जबकि इस बार 72.55 प्रतिशत ही वोट डले हैं। मंत्री भूपेंद्र सिंह की सीट खुरई पर 2018 में 81.66 प्रतिशत वोटिंग हुई थी तो इस बार यह घटकर 79.64 प्रतिशत रह गई। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की सीट दिमनी पर 2018 में 70.34 प्रतिशत मतदान हुआ था तो इस बार घटकर 69.79 प्रतिशत दर्ज किया गया है। मंत्री रामखेलावन पटेल की सीट 2018 में 76.10 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जबकि हालिया चुनाव में 1.03 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। मंत्री मीना सिंह की सीट पर 2018 की 77.18 प्रतिशत के मुकाबले इस बार थोड़ा कम यानि 77.09 प्रतिशत वोटिंग हुई है।

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घाटे के बयानों के साथ ईवीएम की सुरक्षा पर सियासत शुरू

अब जहां तक वोट प्रतिशत कम होने की वजह की बात है, इस पर एक ओर भाजपा की प्रवक्ता मंजरी जैन ने बहुत से वोटर्स के बाहर होने समेत कई कारण बताए हैं और साथ ही कहा है कि बढ़ा हुआ वोट प्रतिशत पार्टी के हक में है। कम वोटिंग वाली सीटों पर भी उन्होंने भाजपा को कोई घाटा नहीं बताया, दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता जितेंद्र मिश्रा की मानें तो वोटिंग कम होने की वजह साफ नहीं है, लेकिन इससे इतना जरूर साफ है कि जनता ने भाजपा को वोट नहीं दिया। उधर, इन राजनैतिक बयानात के साथ ईवीएम की सुरक्षा को लेकर भी एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है।

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कांग्रेसी बोले-धनबल का इस्तेमाल हुआ तो भाजपा नेता बता रहे बहाना

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अवनीश बुंदेला ने कांग्रेस ने आशंका जताई है कि सत्ताधारी दल ईवीएम से छेड़खानी कर सकता है, ऐसे में स्ट्रॉन्ग रूम की लाइव मॉनिटरिंग लिंक सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पाने के लिए बीजेपी ने चुनाव में जमकर धन बल के साथ मादक पदार्थ और शराब का उपयोग किया है। निर्वाचन आयोग भी कई मामलों पर निष्क्रिय साबित हुआ है। सोचने वाली बात है कि जो अपनी जेब भरने के लिए भगवान के नाम पर घोटाले घपले कर सकते हैं, वो सत्ता पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। कुल मिलाकर बीजेपी अपनी हार को देख हर हथकंडे अपना सकती है।

हालांकि कांग्रेस के इन आरोपों पर भाजपा नेतृत्व की तरफ से भी पलटवार किया गया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शुभम शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस जब-जब अपनी हर को देखती है, तब-तब ईवीएम की छेड़छाड़ समेत सरकारी एजेंसियों पर सवाल खड़ी करती है। निर्वाचन आयोग निष्पक्ष काम कर रहा है। हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस अपनी हार का बहाना ढूंढ रही है।

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Edited By

Balraj Singh

First published on: Nov 21, 2023 12:31 AM

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