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MP में मनाया गया गुजरात-महाराष्ट्र दिवस, CM शिवराज बोले-दोनों राज्यों के लोग हमारे साथ घुल मिल कर बस गए

MP News: भोपाल में आज महाराष्ट्र और गुजरात राज्य का स्थापना दिवस मनाया गया। खास बात यह है कि भोपाल में गुजराती और मराठी लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। ऐसे में दोनों राज्यों को लोगों को राजभवन में आमंत्रित किया गया। जहां सीएम शिवराज सिंह चौहान ने और राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सभी से […]

Edited By : Arpit Pandey | Updated: May 1, 2023 19:07
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Gujarat Maharashtra Foundation Day
Gujarat Maharashtra Foundation Day

MP News: भोपाल में आज महाराष्ट्र और गुजरात राज्य का स्थापना दिवस मनाया गया। खास बात यह है कि भोपाल में गुजराती और मराठी लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। ऐसे में दोनों राज्यों को लोगों को राजभवन में आमंत्रित किया गया। जहां सीएम शिवराज सिंह चौहान ने और राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सभी से मुलाकात की।

दूध में शक्कर की तरह घुल गए

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘भारत माता के सब लाल, भेदभाव का कहां सवाल, इसलिए जो मध्य प्रदेश में आता है, मध्य प्रदेश का हो जाता है। जैसे दूध में शक्कर घुल जाती है, उसी तरह मध्य प्रदेश में आने वाले घुल-मिल कर प्रदेश में बस जाते हैं। गुजरात और महाराष्ट्र के लोग भी इसी तरह से घुले मिले हैं।’

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योद्धाओं और संतों की धरती है

सीएम शिवराज ने अखंड भारत के निर्माण और विकास में महाराष्ट्र और गुजरात के योगदान का उल्लेख किया। संत परंपरा और राज्य के महापुरुषों का स्मरण और उनके महान कार्यों पर प्रकाश डाला।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र योद्धाओं और संतों की धरती है, जिसने देश को अनेक महापुरूष दिए हैं।महाराष्ट्र के शिवाजी महाराज, संत तुकाराम, लोकमान्य तिलक जैसी विभूतियां हुई हैं। संत नरसिंह मेहता, दुनिया को शांति का संदेश देने वाले अद्भुत महात्मा गांधी, राष्ट्र को एकीकृत करने वाले लौह पुरूष सरदार पटेल और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा व्यक्तित्व जो अपने आप में संस्था है, गुजरात राज्य की भारत को देन है।

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महाराष्ट्र का जमाई हूं

महाराष्ट्र और गुजरात राज्य के जुड़ाव की बात करते हुए सीएम ने कहा कि वे महाराष्ट्र राज्य के जमाई हैं। प्रारंभिक शिक्षा गुजराती स्कूल में प्राप्त की है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारत महान राष्ट्र है। यहाँ 5 हजार वर्ष की ज्ञान-विज्ञान की परंपराएं हैं।

दुनिया के विकसित देशों में जब सभ्यता का उदय नहीं हुआ था, तब भारत में ऋचाओं की रचना हो रही थी। उन्होंने कहा कि भारत ने ही दुनिया को एक परिवार मानने, जियो और जीने दो, सत्यमेव जयते, प्राणियों में सद्भावना हो और सब सुखी हों, सब निरोगी हों आदि मानवता के मंगलकारी स्वरूप का दिग्दर्शन कराया है।

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Edited By

Arpit Pandey

First published on: May 01, 2023 07:07 PM

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