मध्य प्रदेश के कटनी की रहने वाली अर्चना तिवारी को आखिरकार पुलिस ने बरामद कर लिया है। उसे नेपाल बॉर्डर के पास यूपी के लखीमपुर से बरामद किया गया है। भोपाल GRP SP ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अर्चना को बरामद कर लिया गया है और उसे हमारी टीम मध्य प्रदेश लेकर आ रही है। सवाल यह है कि आखिर अर्चना लखीमपुर खीरी पहुंची कैसे? 13 दिन तक वह कहां रही और पुलिस उस तक कैसे पहुंची?
आज भोपाल GRP SP इस मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं और जानकारी दे सकते हैं कि आखिरकार अर्चना ट्रेन से कैसे लापता हुई थी? वह अपना सामान ट्रेन में छोड़कर कहां और कैसे गई? साथ ही इस दौरान वह किसके साथ रही और वह लखीमपुर खीरी कैसे पहुंची?
अर्चना तक कैसे पहुंची पुलिस?
पुलिस का कहना है कि मामला सामने आने के बाद वह लगातार सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही थी। आसपास के जंगलों में छानबीन की जा रही थी। इसके साथ ही पुलिस सर्विलांस और साइबर टीम की भी मदद ले रही थी। इसी दौरान पुलिस को अर्चना की लोकेशन से जुड़ी एक जानकारी मिली। जब पुलिस ने छानबीन की तो उसकी लोकेशन मिल गई और पुलिस ने उसे सकुशल बरामद कर लिया।
फोन पर अर्चना ने की मां से बात
वहीं परिजनों का कहना है कि अर्चना तिवारी ने अपने परिवार को फोन किया और अपनी मां से बातचीत की। इसके बाद परिवार ने बताया कि उनकी बेटी ने यह नहीं बताया कि वह कहां है, लेकिन यह कहा कि वह जहां भी है, सुरक्षित है। इसी दौरान पुलिस को भी उसकी लोकेशन मिल गई थी और एक टीम रवाना हो गई थी।
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कैसे और कब लापता हुई थी अर्चना?
अर्चना तिवारी इंदौर में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थी। रक्षाबंधन पर वह अपने घर कटनी लौटने के लिए निकली थी, लेकिन रास्ते में ही लापता हो गई थी। जांच के दौरान उसकी आखिरी लोकेशन भोपाल रेलवे स्टेशन के आसपास मिली थी। GRP की पड़ताल में पता चला कि अर्चना का ट्रेन टिकट ग्वालियर के एक पुलिसकर्मी ने बुक किया था। भंवरपुरा थाने में तैनात सिपाही राम तोमर ने ट्रेन टिकट खरीदा था। पुलिस ने उससे पूछताछ की। ट्रेन से अर्चना तिवारी का बैग बरामद किया गया था। वह चलती ट्रेन से किसी नदी या जंगल में गिर तो नहीं गई, इस एंगल से भी पुलिस जांच कर रही थी।










