अप्स्टेज आर्ट ग्रुप, दिल्ली की ओर से कला ऋषि पद्मश्री बाबा योगेंद्र राष्ट्रीय बहुभाषीय नाट्य समारोह की शुरुआत 7 जनवरी से दिल्ली में होगी। 7 से 13 जनवरी तक संगीत नाटक अकादमी में और 13-14 को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में बहुभाषीय नाटकों की प्रस्तुति होगी।
दरसल 7 जनवरी ही बाबा योगेन्द्र की जन्म तिथि है । उनका जन्म उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध वकील बाबू विजय बहादुर श्रीवास्तव के घर सन् 1924 में हुआ था। वह बचपन में गांव में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने लगे। इसके बाद गोरखपुर में पढ़ाई के दौरान उनका संपर्क संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख से हुआ। संघ का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह प्रचारक की भूमिका में सुचारू रूप से काम करने लगे ।
वर्ष 1981 में संस्कार भारती का गठन हुआ और इसकी जिम्मेदारी बाबा योगेंद्र को दी गई। उन्होंने कला के क्षेत्र में जमीनी तौर पर काम किया। कला से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों को एकजुट किया। कला और संस्कृति से जुड़े आयोजन किए और सभी कलाकारों को समान प्रोत्साहन दिया। बाबा योगेंद्र ने कला संस्कृति और राष्ट्रप्रेम का अनूठा मिश्रण रचा और अपना पूरा जीवन इसी कार्य के लिए समर्पित कर दिया । कला क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए वर्ष 2018 में भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया।
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नाट्य समारोह का पहला मुख्य उद्देश्य
बाबा के साथ हुई एक नियमित चर्चा में उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए थे कि ” युवा हमारे राष्ट्र के भविष्य के साथ – साथ सामाजिक प्रगति और परिवर्तन के लिए सबसे शक्तिशाली ताकतों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं। कला के संपर्क में आने से युवा को कई सकारात्मक कौशल और क्षमताएं विकसित करने में मदद मिलती है एवं कला प्रदर्शन युवा के आत्मविश्वास और शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार कर सकता है । उनकी इसी सोच ने इस नाट्य समारोह का पहला मुख्य उद्देश्य दे दिया कि कला और संस्कृति में उन्नति के लिए इसमें युवाओं को शामिल करना बहुत जरूरी है।
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समारोह का दूसरा अहम उद्देश्य
इस समारोह में देश के विभिन्न भाषाओं के नाटक एवं लोक कलाओं की प्रदर्शनी होगी। इस वर्ष दिल्ली समेत देश के विभिन्न राज्यों जैसे की झारखण्ड, पंजाब, छत्तीसगढ़ , महाराष्ट्र आदि को भी सम्मिलित किया गया है। इस समारोह में नाटक प्रेमियों को प्रसिद्ध निर्देशकों द्वारा निर्देशित और मशहूर कलाकारों द्वारा अभिनीत नाटक देखने को मिलेंगे। हमारी विभिन्न भाषाएं, विविध पोशाकें और अनेकों प्रकार लोक गीतों के बावजूद हमारी कला और भारतीय संस्कृति हमें अपनी विविधता में एक साथ लाती है। यही तो खासियत है कला की, और यही इस समारोह का दूसरा अहम उद्देश्य है।
नाटक उलगुलान ( सन्थली ), पहटिया ( छत्तीसगढ़ी ), समाउलि ( मराठी ) आदि इस समारोह का हिस्सा होंगे जिन्हें निर्देशित किया है अजय मलकानी, डॉ योगेन्द्र चौबे प्रमोद पवार क्रमशः फेस्टिवल का पूरा शेड्यूल हमारे इंस्टाग्राम या फेस्बुक पेज पर देखा जा सकता है। आप प्रसिद्ध निर्देशकों के साथ रंग चर्चा ” के एक विशेष चैट सत्र का भी हिस्सा बन सकते हैं। यह चर्चा खासकर नाट्य विधा से जुड़े युवाओं के लिए हैं। प्रवेश निःशुल्क है।
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