Himachal Politics: हिमाचल में सरकार बनाने से पहले कांग्रेस के नेता ने बड़ा दावा किया है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल एसएस सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की अब तक की सबसे स्थिर सरकार होगी।
सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस के 40 विधायक चुने गए हैं और हमें 3 निर्दलीय विधायकों ने भी अपना समर्थन देने का वादा किया है। हम 43 विधायक हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस से अब कोई विधायक नहीं टूटेगा। इस बीच उन्होंने ये भी दावा किया कि आने वाले समय में बीजेपी के 6-7 विधायक कांग्रेस में आ सकते हैं।
Himachal Pradesh will have the most stable govt of Congress.40 MLAs were elected & 3 other MLAs have pledged their support. We're 43 MLAs. Nobody will break away from Congress but from BJP. They only set narratives. In the time to come, 6-7 BJP MLAs can come to Congress: SS Sukhu pic.twitter.com/z6tbtKjzlP
— ANI (@ANI) December 10, 2022
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हिमाचल के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने के एक सवाल पर एसएस सुक्खू ने कहा कि मैं कभी भी दौड़ में नहीं था, न तो आज और न ही आज और न ही भविष्य में। सुक्खू ने कहा कि मैं एक कांग्रेस कार्यकर्ता हूं और मैंने हमेशा एक कार्यकर्ता के रूप में काम किया है। मैंने कभी किसी पद की इच्छा नहीं की। कांग्रेस ने मुझे प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया और उनके आदेश का पालन करना मेरा कर्तव्य है।
कौन हैं सुखविंदर सिंह सुक्खू
सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष हैं। उन्होंने हमीरपुर जिले की नादौन विधानसभा सीट से कड़े मुकाबले में भाजपा के प्रत्याशी विजय कुमार को 3300 से ज्यादा वोट से हराया है। वे हिमाचल में चौथी बार विधायक चुने गए हैं।
सुक्खू ने शिमला के सरकारी कॉलेज से पढ़ाई के दौरान अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रैजुएशन और एलएलबी की पढ़ाई की है। वे कॉलेज छात्र संघ के महासचिव और अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
सुखविंदर सिंह सुक्खू छह साल तक (1989-1995) कांग्रेस की छात्र संघ ईकाई NSUI के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2013 में उन्हें हिमाचल कांग्रेस का चीफ भी बनाया गया था। 2022 के अलावा वे 2003, 2007 और 2017 में भी नादौन विधानसभा से विधायक चुने जा चुके हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।