Exit Polls 2024 Live: पिछले हरियाणा विधानसभा चुनाव में इनेलो से निकली पार्टी जेजेपी ने 10 सीटें जीतकर किंगमेकर की भूमिका निभाई थी। जननायक जनता पार्टी ने बीजेपी को समर्थन दिया था। जिसके बाद मनोहर लाल ने सीएम पद की शपथ ली थी। बीजेपी जादुई आंकड़े 46 से दूर रह गई थी। पार्टी ने 75 पार का नारा दिया था। लेकिन जीत सिर्फ 40 सीटों पर मिली। इसके बाद दुष्यंत चौटाला सरकार में शामिल हो गए थे। उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया था। हालांकि BJP को 7 निर्दलीयों ने भी समर्थन दिया था। लेकिन साढ़े 4 साल तक दुष्यंत और मनोहर लाल की जोड़ी काम करती रही।
8 अक्टूबर को आएंगे नतीजे
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जेजेपी का साथ छोड़ दिया। मनोहर की जगह नायब सिंह सैनी को हरियाणा का सीएम बनाया गया था। 5 अक्टूबर को चुनाव संपन्न होने के बाद आए एग्जिट पोल में बीजेपी और जेजेपी की राह आसान नजर नहीं आ रही है। हालांकि ये रुझान हैं, अभी नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित होंगे। लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक जेजेपी इस बार 0-3 सीटों पर सिमटती दिख रही है। क्या बीजेपी के साथ जाने का नुकसान उसे उठाना पड़ा। विस्तार से इस बारे में समझ लेते हैं।
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बीजेपी के 7 विधायक विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को अलविदा कह चुके थे। सिर्फ मां नैना चौटाला और जुलाना के विधायक अमरजीत ढांडा के अलावा स्वयं दुष्यंत पार्टी के साथ बचे। माना जा रहा है कि किसानों के विरोध की वजह से जननायक जनता पार्टी (JJP) को नुकसान उठाना पड़ा। जेजेपी का 2019 लोकसभा चुनाव में वोट शेयर 14.9 फीसदी था। जो इस बार लोकसभा चुनाव में घटकर 0.87 रह गया। जाट वोटर जेजेपी के साथ माने जाते रहे हैं। जो इस बार पूरी तरह कांग्रेस की ओर शिफ्ट हो गए। जेजेपी को किसानों के खिलाफ जाकर भाजपा को समर्थन देना भी महंगा पड़ा।
हरियाणा चुनाव 2024: हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम और जेजेपी नेता Dushyant Chautala जी ने #सिरसा के एक मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला.भावी विधायक उचाना #everyonehighlightsfollowers #हिम्मतवाला_दुष्यंत #जनसेवा_पत्र #उचाना #DushyantChautala #kunalchanana✌️🥇❤️🧿 @Dchautala pic.twitter.com/UgDrL61Tmr
— Kunal Chanana JJP (@JjpKunal) October 5, 2024
गठबंधन का कितना फायदा?
जेजेपी ने इस बार आजाद समाज पार्टी (ASP) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा। पार्टी को लगा था कि दलित वोट उसे मिल जाएंगे। लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़ों पर यकीन करें तो ये दांव भी उल्टा पड़ गया। जेजेपी ने इस बार उन्हीं सीटों पर फोकस किया, जिन पर वह पिछली बार जीती या दूसरे नंबर पर रही। चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने 20 सीटों पर कैंडिडेट उतारे। लेकिन इस जोड़ी का फायदा नहीं मिलता दिख रहा। अब सभी एग्जिट पोल कांग्रेस का बहुमत दिखा रहे हैं। जेजेपी-एएसपी 0-3 पर सिमट रही है। हालांकि अभी नतीजे आने बाकी हैं। देखने वाली बात होगी कि JJP को कितनी सीटें मिल पाएंगी?
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