Haryana Political Crisis Anil Vij Profile: लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियों के बीच हरियाणा में राजनीतिक संकट गहरा गया है। प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन टूट गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस्तीफा दे दिया है। चर्चा है कि वे करनाल से लोकसभा चुनाव 2024 लड़ सकते हैं। पूरी कैबिनेट इस्तीफा दे चुकी है और नए सिरे से शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है।
इसके चलते चंडीगढ़ में मनोहर लाल ने अपने विधायकों और मंत्रियों की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। हरियाणा के सियासी गलियारों में चर्चा है कि हरियाणा की कमान अब प्रदेश के धाकड़ मंत्री अनिल विज के हाथों में जा सकती है। उन्होंने हरियाणा का नया मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी है। दावेदारों में करनाल से सांसद संजय भाटिया और कैथल के सांसद नायब सैनी का नाम भी शामिल है।
वहीं दुष्यंत चौटाला ने गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने का समय मांग लिया है। वे दिल्ली पहुंच गए हैं। उन्होंने और उनके विधायकों ने सरकारी गाड़ियां भी लौटा दी हैं। अब जानते हैं कि अनिल विज कौन हैं, जो हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने वालों की रेस में सबसे आगे हैं?
#WATCH | On CAA implementation, Haryana Home Minister Anil Vij says, “…Those who could not come to India at the time of partition and were persecuted on the basis of religion in these different countries. People who came to India before 2014 had no rights here, so PM Modi has… pic.twitter.com/aemAQSrSZN
— ANI (@ANI) March 12, 2024
6 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके अनिल विज
अनिल विज हरियाणा से भारतीय जनता पार्टी के धाकड़ नेता है। वे देश के तेज तर्रार नेताओं में गिने जाते हैं और अपने विवादित बयानों के लिए अकसर सुर्खियों में रहते हैं। वर्तमान में वे हरियाणा भाजपा की मनोहर लाल सरकार में गृह मंत्री होने के साथ-साथ स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान, आयुष मंत्री भी रहे। अनिल विज आज तक 6 बार चुनाव जीत चुके हैं।
2 बार निर्दलीय विधायक चुने गए। वे 1990 में पहली बार उप-चुनाव जीतकर विधायक बने थे। 1996 और 2000 में निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ा और दोनों बार जीते। 2005 में चुनाव हारे, लेकिन 2009 में भाजपा की टिकट पर अंबाला कैंट से विधानसभा चुनाव लड़कर जीते। 2014 और 2019 में भी विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार में गृह मंत्री बने।
#WATCH | Ambala: Haryana Home Minister Anil Vij says, “Congress wants to make an issue out of everything. They don’t want peace and harmony in the country.” pic.twitter.com/RbjimsB4Jt
— ANI (@ANI) March 10, 2024
कैसे आए राजनीति में?
अनिल विज 15 मार्च 1953 को अंबाला में जन्मे थे। उनके पिता भीम सेन रेलवे अधिकारी थे, लेकिन उनके निधन के बाद घर की जिम्मेदारी अनिल विज के कंधों पर आ गई। 1968 में बनारसी दास स्कूल से हाई स्कूलिंग की। अंबाला के SD कॉलेज से बीएससी में ग्रेजुएट हुए। कॉलेज के दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के छात्र संघ अध्यक्ष अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में के सदस्य बने।
1970 में ABVP के महासचिव बने। 1974 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी जॉइन की और 16 साल सेवाएं देने के बाद 1990 में इस्तीफा दे दिया। सुषमा स्वराज के राज्यसभा मेंबर बनने पर अंबाला कैंट की सीट खाली हो गई तो उन्होंने उप-चुनाव लड़ा और इस तरह वे राजनीति में आ गए। 1991 में अनिल विज भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बने।
VIDEO | Here’s what Haryana Home Minister Anil Vij (@anilvijminister) said on Arun Goel quitting as election commissioner ahead of upcoming Lok Sabha polls.
“Congress wants to make an issue of everything. They don’t want peace and harmony in the nation.” pic.twitter.com/578mDM9z6g
— Haryana Updates (@HaryanakiHawa) March 10, 2024
अनिल विज के विवादित बयान…
1. दिवाली श्रीराम के वनवास काटकर अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती तो दुकानों पर श्रीराम की मूर्ति क्यों नहीं? श्रीराम के नाम की दिवाली और लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। बाजार में भी लक्ष्मी जी की मूर्तियां मिलती हैं? आखिर ऐसा क्यों?
2. अनिल विज ने ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए बयान दिया था कि अगर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष भारत में पैदा होने पर शर्मिंदा हैं तो उन्हें समुद्र में कूद जाना चाहिए।
3. अनिल विज ने साल 2017 में कहा था कि संस्कृत के मंत्र बोलकर कराई जाने वाली शादियां अवैध होती हैं, क्योंकि संस्कृत दूल्हा-दुल्हन दोनों को समझ नहीं आती।
4. 1971 के भारत-पाक युद्ध और शिमला समझौते पर सवाल उठाते हुए कहा कि युद्ध में जवानों ने जंग जीती, मेज पर नेता मीटिंग हार गए। 93 हजार युद्धबंदियों को छोड़ने के बदले में पाक अधिकृत कश्मीर (POK) मांग सकते थे, लेकिन नेताओं को ऐसे मोलभाव करने नहीं आते। आज तक खामियाजा भुगत रहे हैं।