Haryana Assembly Elections: हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद बीजेपी और कांग्रेस ने टिकट बंटवारे को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि जल्द दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी हो सकती है। प्रदेश में एक ही चरण में 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी। वहीं, 8 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। हरियाणा की राजनीति में निर्दलीय विधायकों का योगदान भी खूब रहा है। हरियाणा बनने के बाद अब तक 116 विधायक आजाद जीत चुके हैं। सबसे पहले 1967 में विधानसभा चुनाव हुआ था। उसमें 16 विधायक निर्दलीय जीते। इसके बाद 1982 के चुनाव में सबसे अधिक 16 निर्दलीय फिर विधानसभा पहुंचे।
5 साल चली हुड्डा की सरकार
इन आजाद विधायकों को सहारे कई बार सरकारें चलीं तो कई बार गिरीं। 2009 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो 2019 में मनोहर लाल की सरकार पूरे 5 साल इन्हीं के सहारे चली। हालांकि मनोहर लाल को दूसरी अवधि पूरी होने से कुछ समय पहले बदल दिया गया। वे अब लोकसभा सांसद हैं। वहीं, सीएम की कुर्सी नायब सैनी के पास है। सरकार चलाने के लिए निर्दलीयों को मंत्री पद भी मिले। 2009 में हुड्डा ने निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा को गृह राज्य मंत्री बनाया। वहीं, ओमप्रकाश जैन, पंडित शिवचरण और सुखबीर कटारिया को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
Independent Haryana MLA Balraj Kundu in Chandigarh: I had extended my support to an honest govt and Chief Minister ML Khattar. Now, I have realized that their display of honesty is a farce. I will hand over a letter to the Assembly Speaker to withdraw my support tomorrow. pic.twitter.com/ve2LEUKXKw
— We For News (@WeForNews) February 27, 2020
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रणजीत सिंह एक टर्म में 2 बार बने मंत्री
इसी तरह 2019 में मनोहर लाल ने रानियां से निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह को बिजली मंत्री बनाया। सैनी सरकार ने भी दोबारा उनको शपथ दिलाई। नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर को वन विकास बोर्ड के चेयरमैन जैसा अहम पद दिया गया। हरियाणा के इतिहास में निर्दलीय के तौर पर लड़ाई महिलाओं ने भी खूब लड़ी। लेकिन सिर्फ 1982 में बल्लभगढ़ से शारदा रानी ही जीत सकी। आजाद उम्मीदवार के तौर पर ही सबसे पहले अनिल विज जीते थे। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए। जिसके बाद कई बार अंबाला कैंट से विधायक बने।
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हरियाणा की कुल 90 में से 70 सीटें ऐसी हैं, जहां से निर्दलीय विधायक जीते हैं। सबसे अधिक निर्दलीय पुंडरी सीट से जीतकर चंडीगढ़ पहुंचे हैं। नीलोखेड़ी से 5 नूंह और हथीन से 4-4 निर्दलीय विधायक बन चुके हैं। नारनौल, सफीदों, सोहना और झज्जर सीट से भी 3-3 बार निर्दलीय विधायक विधानसभा पहुंच चुके हैं। हरियाणा की लगभग 18 सीटें ऐसी हैं, जहां से 2-2 बार आजाद MLA चुने गए हैं। वहीं, 44 सीटों पर 1-1 बार निर्दलीय MLA विधानसभा की दहलीज पर जा चुके हैं।
पिछली बार जीते थे 7 निर्दलीय
अभी तक लगभग 8835 लोग निर्दलीय विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं। जिसमें 116 को जीत मिली, वहीं, 8428 की जमानत भी नहीं बची। 1968 के चुनाव में सबसे कम 168 निर्दलीय ने चुनाव लड़ा, जबकि 1996 में 2022 ने। 2019 के विधानसभा चुनाव में 7 निर्दलीय जीते थे। पृथला सीट से नयनपाल रावत, बादशाहपुर से राकेश दोलताबाद, पुंडरी से रणधीर गोलन जीते। वहीं, रानियां से रणजीत सिंह, नीलोखेड़ी सीट से धर्मपाल गोंदर और महम से बलराज कुंडू विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे।
3rd phase election outcome
3 Independent MLAs withdraw support to Nayab Saini Bjp Modi govt in Haryana and joined hands with Congress partyAll 3 are impressed by Congress manifesto and Rahul Gandhi’s 5 Nyay 25 promises #LokSabhaElection2024
pic.twitter.com/tl1jQt6YIc— Pritesh Shah (@priteshshah_) May 7, 2024
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