Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बीच पीएम मोदी ने दोनों जगह चुनावी रैलियां की हैं। हरियाणा में तीसरी बार लगातार बीजेपी का लक्ष्य सरकार बचाने का है। लेकिन प्रत्याशियों के ऐलान के बाद जिस तरह से हालात बदले हैं, पार्टी को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। कई सीटों पर निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर चुके बीजेपी नेता अपनी ही पार्टी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। ऐसे में अब पीएम की कुरुक्षेत्र में रैली के बाद हाईकमान को उम्मीद है कि हालात बदल जाएंगे।
…तो बिगड़ जाएगा पूरा खेल
जैसे-जैसे 5 अक्टूबर का दिन करीब आ रहा है। बीजेपी ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। यही वजह है कि अब पीएम ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। पीएम की रैली के बाद पार्टी को उम्मीद है कि मुश्किलों से छुटकारा मिलेगा। बीजेपी को दो मोर्चों पर रणनीति बनानी पड़ रही है। एक तो पार्टी में रह रहे विरोधियों से मुकाबला करना है। वहीं, जो इस्तीफा देकर जा चुके हैं और आजाद लड़ रहे हैं, उनसे पार पाना है।
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जम्मू-कश्मीर में अगर बीजेपी को सीटें ठीक मिल गईं तो यह उसके लिए अच्छी बात होगी। धारा 370 हटने के बाद वहां पहला चुनाव है। इस मुद्दे को बीजेपी भुना भी रही है। वहीं, हरियाणा में पार्टी को सत्ता विरोधी लहर और अपने बागियों का डर है। जिनकी नाराजगी गेम को बिगाड़ सकती है। लोकसभा चुनाव के बाद अगर बीजेपी हारी तो विपक्ष और उत्साहित होगा। पार्टी का मानना है कि इस चुनाव में काफी कुछ दांव पर लगा है। बीजेपी अब तक किसान आंदोलन की तपिश झेल रही है। कई उम्मीदवारों का इलाकों में विरोध हो रहा है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली पहले ही उसके हाथ से निकल चुके हैं। किसानों का अधिक विरोध यहीं था। हाल के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हरियाणा और यूपी में खूब नुकसान झेलना पड़ा था।
#WATCH | Kurukshetra, Haryana: PM Narendra Modi says, “Appeasement is the biggest goal for Congress. Today the situation has become such that even Ganpati is being put behind bars in the Congress-ruled state of Karnataka. The whole country is celebrating Ganesh Utsav today and… pic.twitter.com/pRGKVVgCT0
— ANI (@ANI) September 14, 2024
हरियाणा के मायने अहम क्यों?
किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी का मानना है कि हरियाणा में सरकार होने के कारण किसानों को दिल्ली में घुसने से रोका। अगर हरियाणा हाथ से फिसल गया तो ऐसा आंदोलन दोबारा राष्ट्रीय स्तर पर फैल सकता है। क्योंकि कभी भी विपक्ष और किसान दिल्ली में घुस सकते हैं। हरियाणा को खोने का एक और पहलू गुरुग्राम है। जो निवेश और रियल एस्टेट के लिए अहम है। यूपी का नोएडा, हैदराबाद और बेंगलुरु भी ऐसे ही हब हैं। अगर हरियाणा हाथ से फिसला तो तेजी से विकसित हो रहा एक और महानगर विपक्ष के पास चला जाएगा।
महाराष्ट्र का चुनाव मुंबई की वजह से बीजेपी अहम मान रही है। जहां उसे विपक्ष से जोरदार टक्कर मिल रही है। बताया जा रहा है कि टिकटों को लेकर काफी माथापच्ची हाईकमान ने की है। हरियाणा में बीजेपी की कोर टीम में चुनाव प्रभारी बिप्लब कुमार देब, सह-प्रभारी सतीश पूनिया और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं। इसके अलावा सीएम नायब सिंह सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल, BJP प्रदेश प्रमुख मोहन लाल बडोली और प्रभारी फनींदर नाथ शर्मा ने टिकट वितरण को लेकर रणनीति बनाई थी। वहीं, अंतिम फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लिया था।
दिग्गजों को दी गई तवज्जो
सूत्रों के अनुसार बगावत का मतलब टिकटों का गलत वितरण नहीं है। लोकप्रिय चेहरों को नजरअंदाज नहीं किया गया। टिकट देने में काफी सावधानियां बरती गई हैं। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का ध्यान रखा गया। राव सीएम बनने की इच्छा जता रहे हैं, उनकी बेटी आरती राव को अटेली से मैदान में उतारा गया है। बताया जा रहा है कि नौ सपोर्टर्स पर भी दांव खेला गया है। 12 लोग मनोहर लाल की पसंद हैं। 5 की सिफारिश सीएम सैनी ने की है। भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह के दो समर्थकों को टिकट मिले हैं। पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को मौजूदा विधायक का टिकट काटकर मैदान में उतारा गया है।
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