Delhi Flood Update: दिल्ली में यमुना का जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान को पार कर गया है। रविवार दोपहर तक के आंकड़ों के अनुसार यमुना 206.26 मीटर पर बह रही है। जबकि शनिवार रात यमुना का जलस्तर 205.96 मीटर था। ताजा स्थिति को देखते हुए एक बार फिर दिल्ली प्रशासन ने मुनादी के जरिए चेतावनी जारी है।
अभी और बढ़ेगा जलस्तर
जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में फिर से हुई भारी बारिश के बाद हथिनीकुंड बैराज से यमुना में पानी छोड़ा गया है, जिसके कारण दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। आशंका है कि रविवार शाम तक यमुना 206.26 मीटर के निशान को भी पार कर जाएगी।
#WATCH | Delhi: Announcements are being made by the administration to vacate low-lying areas as Yamuna's water level crossed the danger mark, recorded at 206.31 meters at 4 pm today. pic.twitter.com/gM6mQR6Hbp
— ANI (@ANI) July 23, 2023
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लगातार बढ़ रहा यमुना का जलस्तर
मीडिया में कहा गया है कि हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से 2 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों से पता चलता है कि जलस्तर शनिवार रात 10 बजे 205.02 मीटर से बढ़कर रविवार सुबह 9 बजे 205.96 मीटर हो गया। इसके बाद रविवार दोपहर तीन बजे यमुना का पानी 206.26 मीटर पर पहुंच गया।
हथिनीकुंड से छोड़ा गया है पानी
दिल्ली सरकार की राजस्व मंत्री आतिशी ने शनिवार को कहा था कि हथिनीकुंड बैराज से यमुना में 2 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़े जाने के कारण दिल्ली सरकार हाई अलर्ट पर है। अगर जल स्तर 206.7 मीटर तक बढ़ गया तो यमुना खादर (बाढ़ के मैदान) के कुछ हिस्से जलमग्न हो सकते हैं।
शुक्रवार को फिर से खतरे का निशान पार कर गई थी यमुना
मंत्री ने कहा कि दोबारा उफनती यमुना से दिल्ली के बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्य प्रभावित हो सकता है। दिल्ली में यमुना का जलस्तर शुक्रवार को एक बार फिर खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया था, जिससे बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में पुनर्वास के प्रयासों में और देरी हुई।
पहाड़ों पर अभी और होगी बारिश
पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय से यमुना नदी उफान पर है, जिससे शहर के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 25 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की भविष्यवाणी की है। इसके बाद मैदानी राज्यों की चिंता और ज्यादा बढ़ गई है।