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हरियाणा

जानिए बच्चों के लिए क्यों जरूरी है श्रीमद्भगवद् गीता? जिसका हरियाणा के स्कूलों में भी होगा पाठ

उत्तराखंड के बाद हरियाणा के स्कूल्स में भी सुबह की असेंबली में गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य कर दिया गया है। अभी तक उत्तराखंड के स्कूलों में मॉर्निंग असेंबली के दौरान स्टूडेंट्स श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ करते थे। अब ये व्यवस्था हरियाणा के स्कूल्स में भी लागू कर दी गई है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jul 19, 2025 20:11
lord krishna arjun

उत्तराखंड के बाद अब हरियाणा सरकार ने भी स्कूलों में श्रीमद्भगवद् गीता के श्लोक पढ़ाने का निर्णय लिया गया है। यह कदम न केवल शिक्षा में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि यह बच्चों को जीवन के गहन दार्शनिक सवालों से परिचित कराने का भी प्रयास है। श्रीमद्भगवद् गीता, हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है। इसमें जीवन के विभिन्न विषयों पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से बात की है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए जीवन की सभी समस्याओं के हल बताए हैं।

श्रीमद्भगवद् गीता का महत्व

श्रीमद्भगवद् गीता में 18 अध्याय और लगभग 700 श्लोक हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझाते हैं। यह ग्रंथ कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग और ध्यानयोग जैसे विभिन्न योग मार्गों के माध्यम से जीवन के उद्देश्य और कर्तव्यों को स्पष्ट करता है। गीता का संदेश सार्वभौमिक है और यह न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों, बल्कि सभी मनुष्यों के लिए प्रेरणादायक है। यह ग्रंथ हमें सिखाता है कि जीवन में संतुलन, आत्म-नियंत्रण, और निस्वार्थ कर्म की महत्ता को समझना आवश्यक है। गीता का मुख्य संदेश यह है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी फल की इच्छा के करना चाहिए। यह न केवल व्यक्तिगत विकास में मदद करता है, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की भावना को भी जागृत करता है।

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बच्चों के क्यों आवश्यक हैं श्रीमद्भगवद् गीता?

  • स्कूलों में गीता के श्लोक पढ़ाने से बच्चों में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का विकास होगा। इससे कई प्रकार के लाभ बच्चों को मिलते हैं।
  • गीता बच्चों को सत्य, अहिंसा, और कर्तव्यनिष्ठा जैसे मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। इसके साथ ही ध्यानऔर ज्ञानयोग के सिद्धांत बच्चों को तनाव प्रबंधन और आत्म-नियंत्रण सिखाते हैं, जो आज के कंपटीशन के दौर में काफी महत्वपूर्ण हैं।
  • कर्मयोग का सिद्धांत बच्चों को यह समझने में मदद करता है कि परिणाम की चिंता किए बिना कर्म करना चाहिए, जिससे उनमें धैर्य और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • गीता के अध्ययन से बच्चे अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से जुड़ते हैं, जिससे उनमें गर्व और आत्म-सम्मान की भावना विकसित होती है।

बेहद शिक्षाप्रद है गीता के ये श्लोक

श्लोक: ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।’

अर्थ: गीता के अध्याय 2 के श्वलोक 37 के अनुसार तुम्हें केवल कर्म करने का अधिकार है, उसके फल की इच्छा कभी नहीं करनी चाहिए। फल की इच्छा से कर्म नहीं करना चाहिए और न ही कर्म न करने में आसक्ति रखनी चाहिए।

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शिक्षा: यह श्लोक कर्मयोग का मूल सिद्धांत सिखाता है। हमें अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा से करना चाहिए, बिना यह सोचे कि इसका परिणाम क्या होगा। यह बच्चों को निःस्वार्थ कार्य करने की प्रेरणा देता है।

श्लोक: ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।’

अर्थ: अध्याय 4 के श्लोक 7 के अनुसार जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं (ईश्वर) स्वयं को प्रकट करता हूं।

शिक्षा: यह श्लोक बच्चों को यह विश्वास दिलाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा रक्षा होती है। यह उन्हें नैतिकता और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

श्लोक: ‘सर्वं ज्ञानप्लवेनैव वृजिनं संतरिष्यसि। यथैधांसि समिद्धोऽग्निर्भस्मसात्कुरुतेऽर्जुन।।’

अर्थ: अध्याय 4 के श्लोक 37 के अनुसार जैसे प्रज्वलित अग्नि लकड़ियों को भस्म कर देती है, वैसे ही ज्ञान की अग्नि सभी कर्मों को भस्म कर देती है।

शिक्षा: यह श्लोक ज्ञानयोग की महत्ता बताता है। ज्ञान हमें अज्ञानता और भ्रम से मुक्त करता है। बच्चों को यह सिखाता है कि शिक्षा और आत्म-जागरूकता जीवन में प्रगति का आधार है।

श्लोक:’योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय। सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।’

अर्थ: अध्याय 2 के श्लोक 48 में लिखा है कि हे धनंजय! योग में स्थिर होकर, आसक्ति त्यागकर और सफलता-असफलता में समान भाव रखकर कर्म कर। यही समत्व योग कहलाता है।

शिक्षा: यह श्लोक बच्चों को मानसिक संतुलन और धैर्य सिखाता है। यह उन्हें सिखाता है कि जीवन में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं, और हमें हर परिस्थिति में संयम रखना चाहिए।

First published on: Jul 19, 2025 08:11 PM

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