ठाकुर भूपेन्द्र सिंह, अहमदाबाद: मोरबी हैंगिंग ब्रिज हादसे के मामले में गिरफ्तार सभी 9 आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। बुधवार को अदालत जमानत पर फैसला सुनाएगी। अदालत में सुनवाई के दौरान FSL टीम की प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की गई जिसमें एक के बाद एक बड़ी लापरवाही सामने आई हैं।
3165 टिकट जारी किए गए थे
मोरबी के सरकारी वकील विजयभाई जानी ने बताया कि आरोपी की जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान FSL की प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की गई है। जिसमें मेंटीनेंस एवं सुरक्षा का जिम्मा ओरेवा समूह को दिया गया था। 30 अक्टूबर को हादसे के दिन 3165 टिकट जारी किए गए थे। टिकट देने वाले ने यह नहीं सोचा था कि अगर इतने लोग पुल पर गए तो क्या होगा। पुल पर दो टिकट काउंटर थे और दोनों लोगों को पता नहीं था कि कितने टिकट एक-दूसरे के काउंटर से टिकट जारी किए गए।
बिना प्रशिक्षण तैनात थे सुरक्षा गार्ड
रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया है कि हैंगिंग ब्रिज के महत्वपूर्ण हिस्सों के बोल्ट ढीले होने से इसे जीर्ण कर दिया गया था। मोरबी के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश पीसी जोशी, तीन आरोपियों, सुरक्षा गार्ड अल्पेश गोहिल, दिलीप गोहिल और मुकेश चौहान के खिलाफ सबूत पेश किए गए थे। बताया गया है कि आरोपियों में तीन सुरक्षा गार्ड अल्पेश गोहिल, दिलीप गोहिल और मुकेश चौहान को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया था और वो लेबर कांट्रेक्टर थे।
मैनेजर की लापरवाही
मैनेजर को अपने स्टाफ को समझाना पड़ता था कि ब्रिज पर 100 लोग ही जा सकते हैं, लेकिन मैनेजर ने ऐसा नहीं किया। पुल के तार जंग खा गए थे, लंगर टूट गए थे और केबल को पुल से जोड़ने वाली रस्सियों को नहीं बदला गया था। लाइफ गार्ड या बॉल या तैराक जैसे सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। भीड़ बढ़ने पर गार्ड को फाटक बंद करना था, लेकिन उन्होंने लापरवाही बरती और लोगों को पुल हिलाने जैसे काम करने से नहीं रोका और वरिष्ठ अधिकारी या पुलिस को सूचित नहीं किया। रिपोर्ट में कहा गया कि ओरेवा ग्रुप की ओर से लापरवाही हुई है।