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गुजरात

‘गोधरा कांड रोका जा सकता था…’, हाईकोर्ट का GRP कर्मियों की सेवा समाप्ति पर बड़ा फैसला

गुजरात हाईकोर्ट ने जीआरपी कर्मियों की सेवा समाप्ति को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि जवानों ने अपने कर्तव्यों को निभाते समय गंभीर लापरवाही दिखाई वे साबरमती एक्सप्रेस में ड्यूटी पर रहने की बजाय शांति एक्सप्रेस से वापस लौट गए।

Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: May 3, 2025 11:32
Gujarat High Court on Godhra GRP Personnel Dismissal
Gujarat High Court on Godhra GRP Personnel Dismissal

गुजरात हाईकोर्ट ने गोधरा कांड से जुड़े एक अहम फैसले में कहा है कि अगर उस दिन जीआरपी के जवान अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रहते तो 27 फरवरी 2002 की भयावह घटना को टाला जा सकता था। कोर्ट ने साबरमती एक्सप्रेस में तैनात नौ जीआरपी कर्मियों की बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति वैभवी नानावटी की एकल पीठ ने इन कर्मियों की बहाली की याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अपने कर्तव्यों में गंभीर लापरवाही दिखाई। आदेश में बताया गया कि इन जवानों को साबरमती एक्सप्रेस के साथ अहमदाबाद तक यात्रा करनी थी लेकिन वे ड्यूटी छोड़कर शांति एक्सप्रेस से वापस लौट गए और रजिस्टर में झूठी एंट्री कर दी कि वे ड्यूटी पर थे।

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हथियारों से लैस जवानों की तैनाती जरूरी थी

कोर्ट ने यह भी कहा कि साबरमती एक्सप्रेस ए श्रेणी की ट्रेन थी जिसमें जीआरपी की उपस्थिति अनिवार्य होती है क्योंकि इस तरह की ट्रेनों में अक्सर विवाद या आपात स्थितियां सामने आती हैं। इस ट्रेन के लिए हथियारों से लैस जवानों की तैनाती जरूरी थी।

सरकार की ओर से दलील दी गई कि जब इन कर्मियों ने साबरमती एक्सप्रेस में ड्यूटी नहीं निभाई और फर्जी रिकॉर्ड दर्ज किया, तो नियंत्रण कक्ष को यह गलत सूचना मिली कि ट्रेन सुरक्षित है। इसी बीच सुबह करीब 7:40 बजे गोधरा स्टेशन के पास एस-6 कोच में आगजनी हुई जिसमें 59 यात्रियों की जान चली गई जिनमें अधिकतर अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे।

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सरकार ने नौ कर्मियों को किया था बर्खास्त

सरकार ने जांच के बाद इन सभी नौ कर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें तर्क दिया गया कि ट्रेन की अनिश्चितकालीन देरी के चलते वैकल्पिक ट्रेन से जाना सामान्य प्रक्रिया थी। लेकिन अदालत ने इसे सेवा नियमों और जिम्मेदारियों का उल्लंघन मानते हुए इन तर्कों को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और अनुच्छेद 226 के तहत विशेष अधिकारों का उपयोग करना उचित नहीं होगा। ऐसे में दोनों याचिकाएं खारिज की जाती हैं।

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Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: May 03, 2025 11:32 AM

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