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Godhra Case: सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार बोली- 11 दोषियों को मौत की सजा मिले, ये सिर्फ पथराव करने वाले नहीं

Godhra Case: गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 11 दोषियों को मौत की सजा मिलनी चाहिए, जिन्हें गोधरा ट्रेन आगजनी मामले में हाईकोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट गोधरा कांड के कई आरोपियों की जमानत पर सुनवाई कर रहा है। बेंच ने मांगा विवरण चार्ट चीफ […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Feb 21, 2023 12:48
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गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे।

Godhra Case: गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 11 दोषियों को मौत की सजा मिलनी चाहिए, जिन्हें गोधरा ट्रेन आगजनी मामले में हाईकोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट गोधरा कांड के कई आरोपियों की जमानत पर सुनवाई कर रहा है।

बेंच ने मांगा विवरण चार्ट

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख तय की। कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों को एक चार्ट दाखिल करने के लिए कहा है। चार्ट में आरोपियों को दी गई सजा और अब तक जेल में बिताई गई अवधि जैसे विवरण शामिल करने के लिए कहा गया है।

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सॉलिसिटर जनरल बोले- हम डालेंगे दबाव

गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया, ‘हम उन दोषियों को मृत्युदंड देने के लिए गंभीरता से दबाव डालेंगे, जिनकी मृत्युदंड को आजीवन कारावास (गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा) में बदल दिया गया था।’

‘यह दुर्लभतम मामलों में से एक है, जहां महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। आरोपियों ने बोगी को बाहर से बंद कर दिया गया था। महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों की मौत हो गई।’

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गोधरा कांड से भड़क गए थे दंगे

बता दें कि 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिससे राज्य में दंगे भड़क उठे थे। 11 दोषियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी और 20 अन्य को मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले में कुल 31 दोषसिद्धि को बरकरार रखा और 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार

मेहता ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आए हैं। शीर्ष अदालत इस मामले में अब तक दो दोषियों को जमानत दे चुकी है। मामले में सात अन्य जमानत याचिकाएं लंबित हैं।

पीठ ने कहा कि इस मामले में उसके समक्ष बड़ी संख्या में जमानत याचिकाएं दायर की गई हैं और कहा कि इस बात पर सहमति बनी है कि एओआर (एडवोकेट-ऑन रिकॉर्ड) आवेदकों की ओर से अधिवक्ता स्वाति घिल्डियाल, गुजरात के स्थायी वकील के साथ एक व्यापक चार्ट तैयार करेंगी।

राज्य सरकार को जारी किया नोटिस

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को इस मामले में उम्रकैद की सजा पाए कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा था। अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ कंकत्तो, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला व अन्य की जमानत याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

दूसरी ओर राज्य सरकार ने कहा कि यह केवल एक पथराव का मामला नहीं था। दोषियों ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी को आग ला दी थी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि कुछ लोग कह रहे हैं कि उनकी भूमिका सिर्फ पथराव थी। लेकिन जब आप किसी डिब्बे को बाहर से बंद करते हैं, उसमें आग लगाते हैं और फिर पथराव करते हैं, तो यह सिर्फ पथराव नहीं है।

पिछले साल आरोपी को मिली थी जमानत

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 15 दिसंबर को मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे फारूक को जमानत दे दी थी और कहा था कि वह 17 साल से जेल में है। फारुक समेत कई अन्य को साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था।

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Edited By

Bhola Sharma

Edited By

Manish Shukla

First published on: Feb 20, 2023 03:57 PM

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