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40 साल से गुजरात की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही ये संस्था, समाज में ला रही बदलाव

Gujarat Chetna Sansthan: गुजरात के अहमदाबाद में पिछले 40 सालों से चेतना संस्थान महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के लिए काम कर रही है। संस्था की कोशिशों से अहमदाबाद की कई महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हुई हैं।

Edited By : Pooja Mishra | Updated: Aug 11, 2024 15:46
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Gujarat Chetna Sansthan

Gujarat Chetna Sansthan: देश में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो निस्वार्थ भाव से दूरदराज के इलाकों के लोगों की सेवा का काम करती है। ऐसी एक संस्था गुजरात के अहमदाबाद में पिछले 40 सालों से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के लिए काम कर रही है। इस संस्था का नाम चेतना संस्थान है। इस संस्था की कोशिशों से अहमदाबाद की कई महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हुई हैं। साल 1984 में चेतना संस्था की शुरुआत हुई थी।

बच्चों, युवाओं और महिलाओं की सेहत में सुधार

चेतना संस्था बच्चों, युवाओं और महिलाओं विशेषकर हाशिए पर रहने वाले लोगों को सशक्त बनाने का बहुत अच्छा काम करती है। इसके लिए संस्था प्रोजेक्ट खुशाली सेहत, प्रोजेक्ट विद्या, प्रोजेक्ट आई कम न्यूट्रिशन कैंपस, प्रोजेक्ट मोबाइल मेडिकल यूनिट, प्रोजेक्ट आरोग्य, प्रोजेक्ट समर्थ, प्रोजेक्ट स्नेहा, प्रोजेक्ट सचेत जैसे कई प्रोजेक्ट चला रही है। जो भारत भर के 3 राज्यों के 36 से अधिक जिलों, 1930 गांवों में पाया जाता है।

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बच्चों को दी इन स्किल्स की ट्रेनिंग

चेतना संस्था की निदेशक पल्लवीबेन पटेल ने बातचीत करते हुए कहा कि पिछले 40 वर्षों से संचालित चेतना संस्था का मुख्य उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले लोगों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में बदलाव लाना है। इसके लिए चेतना संस्था की ओर से कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। जिनमें से एक है प्रोजेक्ट समर्थ, जिसमें शहरी स्लम क्षेत्रों के 10-19 वर्ष के बच्चों को संचार कौशल, निर्णय लेने के कौशल, तार्किक सोच कौशल और रचनात्मक सोच कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है।

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लोगों में फैलाई जागरूकता

इसके साथ ही संतुलित आहार, एनीमिया से बचाव के उपाय, तंबाकू के दुष्प्रभाव और मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता जैसे विषयों पर लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है। जिसमें अब तक 1700 से अधिक किशोरों को जागरूक किया जा चुका है। फिर दूसरा प्रोजेक्ट है प्रोजेक्ट संगत। जिसमें बहनों को पोषण उद्यमिता प्रशिक्षण के माध्यम से सशक्त बनाया जाता है और उन्हें बाजार अनुसंधान, पैकेजिंग, लाभ मार्जिन आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रोजेक्ट डे केयर सेंटर

इसके बाद प्रोजेक्ट हेल्थ में कुपोषित बच्चों का वजन बढ़ाया जाता है और उनके पोषण स्तर में सुधार के साथ-साथ बच्चे को स्वस्थ बनाने के लिए गतिविधियां की जाती हैं। इसके साथ ही प्रोजेक्ट डे केयर सेंटर के माध्यम से बच्चों को गतिविधियां भी कराई जाती हैं। इतना ही नहीं, इस प्रोजेक्ट से बच्चों की मां को भी बड़ा फायदा मिलता है। क्योंकि, जब बच्चे डे केयर सेंटर में आते हैं तो वे बिना तनाव के छोटे-बड़े काम करके आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

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Written By

Pooja Mishra

First published on: Aug 11, 2024 03:46 PM

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