भूपेंद्र ठाकुर, अहमदाबाद: गुजरात में बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की बरामदगी का सिलसिला जारी है। गुजरात एटीएस ने सावली के मोक्सी में नेक्टर केम कंपनी पर छापा मारा और लगभग 225 किलोग्राम एमडी ड्रग्स जप्त की गई।
गुजरात एटीएस के मुताबिक 2 दिन पहले सूरत क्राइम ब्रांच को इस मामले में सूचना मिली थी। दिनेश जामनगर और महेश धोराजी नाम के दो शख्स वड़ोदरा और आनद के बीच ड्रग्स की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं और साथ-साथ यह भी पता चला कि इन दोनों ने ड्रग्स के इस नशे के कारोबार के लिए बकायदा फैक्ट्री भी बनाई हुई है।
इस जानकारी के आधार पर सबसे पहले महेश धोराजी को सूरत से गिरफ्तार किया गया और उसकी निशानदेही पर बड़ोदरा के पीयूष पटेल को गिरफ्तार किया गया। दोनों से हुई पूछताछ में बड़ोदरा के सावली इलाके में एक फैक्ट्री का खुलासा हुआ पुलिस दोनों को लेकर जब फैक्ट्री पहुंची तो वहां एमडी ड्रग्स की एक बड़ी खेप पुलिस के हाथ लगी।
कहने को तो सावली की इस कंपनी में कंस्ट्रक्शन काम और मशीनों का इंस्टॉलेशन चल रहा था लेकिन नशे का कारोबार करने वाले इन दोनों आरोपियों ने इसे ड्रग्स का गोदाम बना रखा था। गुजरात एटीएस ने यहां से 225 किलो एमडी ड्रग्स बरामद की है। वड़ोदरा से जप्त की गई 1125 करोड़ रुपये की 225 किलो एमडी ड्रग्स के नापतोल के लिए पुलिस को करीबन 18 घंटे लग गए।
हैरानी की बात ये है कि नेक्टर कैम कंपनी कोरोना काल का फायदा उठाकर हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवा की आड़ में मादक दवाएं बना रही थी उसे दूसरे राज्यों में सप्लाई कर रही थी और गुजरात पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।
इस छापेमारी के बाद जब महेश की पूछताछ की गई तो दिनेश और सोमनाथ के राकेश मकानी का नाम सामने आया। राकेश के बारे में जब छानबीन की गई तो पता चला कि राकेश केमिकल इंजीनियर है और इसने भरूच और अंकलेश्वर की कई केमिकल कंपनियों में नौकरी भी की थी, और वही इस पूरे ड्रग मैन्युफैक्चरिंग का मास्टर माइंड है।
इन चारों की एक मीटिंग में एमडी ड्रग्स बनाने का खाका तैयार हुआ राकेश ने एमडी ड्रग्स बनाने का पूरा फार्मूला और प्लान बाकियों को बताया जिसके बाद महेश ने ड्रग्स के लिए जरूरी तमाम रॉ मैटेरियल मार्केट से उठाया और राकेश को दिया जिसके बाद राकेश ने अपने पार्टनर विजय के साथ मिलकर फैक्ट्री में ड्रग्स बनाने का प्रोसेस पूरा किया।
ड्रग्स बनने के बाद में इस ड्रग्स को महाराष्ट्र में बेचने का जिम्मा दिनेश, बाबा और बाबा इब्राहिम को सौंपा गया वहीं एक अन्य शख्स को राजस्थान का जिम्मा सौंपा गया
तफ्तीश में यह बात भी सामने आई है कि जिस फैक्ट्री में ड्रग्स बनाई जा रही थी वह 1 साल पहले ही सितंबर 2021 में चालू हुई है और इस पकड़े गए ड्रग्स के जत्थे के पहले भी जनवरी फरवरी मे एक बार इस फैक्ट्री में ड्रग्स बनाकर उसे मार्केट में बेचा जा चुका है।
ड्रग्स के इस काले कारोबार में गिरफ्तार महेश धोराजी इससे पहले भी कस्टम के एक केस में 7 साल की जेल काट चुका है। वहीं 12 साल पहले दिनेश डीआरआई के एक केस में ड्रग्स के एक बहुत बड़ी खेप के साथ पकड़ा गया था।
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जब्त की गई ड्रग्स करीब 6 महीने पहले तैयार की गई थी। इस बात की पूरी संभावना है कि एक बार में ही काफी मात्रा में ड्रग्स तैयार की गई हो, जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई कर दिया गया हो। ATS को शक है कि यहां से देश के दूसरे हिस्सों में भी ड्रग्स भेजी गई है। इस रैकेट में शामिल लोगों के बारे में भी पता लगाया जा रहा है।
अब तक कहा कहा पकड़ी गई ड्रग्स
साल 2020 में सूरत के कडोदरा में किराये पर ली गई एक इंडस्ट्रियल शेड में एमडी यानी के म्याऊ-म्याऊ ड्रग्स की फैक्ट्री पकड़ी गई जिसका साल 2020 में ही पुलिस के छापे में जम्बूसर के सिगाम की एक फैक्ट्री में एफेड्रिन ड्रग्स बनाने का पर्दाफाश हुआ।
2021 में वलसाड के डूंगरी गांव में पहली बार एमडी ड्रग्स की मैनुफक्चरिंग यूनिट पकड़ी गई , 20 घंटे ये रेड चली जिसमे 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया और साढ़े चार किलो एमडी ड्रग्स पकड़ी गई। और अब सावली के मोक्सी और भरुच के पनोली जीआईडीसी में २ हजार करोड़ से ज्यादा की ड्रग्स पकड़ी गई है
गुजरात के अलावा
21 अप्रैल 2021 में 2500 करोड़ की 250 किलो हेरोइन जप्त की गई थी
12 फ़रवरी 2022 को अरब सागर से 2000 करोड़ की 700 किलो ड्रग्स पकड़ी गई थी
16 सितंबर 2021 को 21 हजार करोड़ की 3000 किलो ड्रग्स पकड़ी गई थी
क्या होती है मेफेड्रोन पार्टी ड्रग्स?
मिथाइलीनन डाइऑक्सी मेथैमफेटामाइन और मेफेड्रोन को कई नामों से बेचा जाता है। लगभग हर देश में इसके कोड नेम हैं। इस ड्रग्स को सूंघकर और पानी में मिलाकर भी लिया जाता है। नशे के बाजार में इस तरह की एक ग्राम ड्रग की कीमत एक हजार से 25000 रुपए तक है। नशा करने वालों के बीच इसके और भी कोड नेम हैं। इसे लेने के बाद दिमाग में नशा चढ़ता है। मदहोशी आती है। ज्यादा मात्रा में एक साथ लेने पर यह जान के लिए खतरा तक बन सकती है।
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‘म्याऊं-म्याऊं ड्रग’ भी कहलाती है मेफेड्रोन
मेफेड्रोन को आमतौर पर ‘म्याऊं-म्याऊं’ के नाम से जाना जाता है। रेव पार्टियों में नशे के लिए इसका इस्तेमाल होता है। म्याऊं-म्याऊं का नाइजीरिया और अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। पार्टी ड्रग्स के तौर पर इसका भारत में भी इस्तेमाल होने के मामले सामने आ चुके हैं। रेव पार्टी में पहले LSD यानी लिसर्जिक एसिड डायइथाइलअमाइड का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन ड्रग्स के लिए कड़े कानून बनने के बाद MDMA और मेफेड्रोन का नशा ज्यादा प्रचलित है।
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