Tihar Jail: तिहाड़ जेल और अदालत प्रशासन की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। गैंगरेप से जुड़े एक मामले में कोर्ट ने जिस आरोपी को जमानत दी थी, उसकी जगह गलती से किसी और आरोपी को रिहा कर दिया गया। जब अदालत को इस गड़बड़ी का पता चला, तो उसने गलती से रिहा हुए आरोपी को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया, लेकिन अब तक आरोपी ने सरेंडर नहीं किया है।
वहीं, एक अन्य मामला जेल नंबर 8 से जुड़ा है, जहां एक अंडरट्रायल कैदी को उस स्थिति में रिहा कर दिया गया जब उसका जमानत आदेश पहले ही रद्द हो चुका था। तिहाड़ जेल प्रशासन ने इस चूक की पुष्टि करते हुए अदालत को पूरी जानकारी सौंप दी है।
ये था पूरी घटना
आरोपी बंटी उर्फ दशरथ सिंह ने अपने वकील एस.के. जैन के जरिए कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने अदालत को बताया कि मामला संदिग्ध है, क्योंकि पीड़िता ने घटना के सात दिन बाद पीसीआर कॉल की और मेडिकल जांच कराने से भी इनकार कर दिया। इसी आधार पर बंटी को जमानत देने की मांग की गई। अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध किया, लेकिन दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने 6 मई 2025 को बंटी को एक जमानती के साथ 30,000 रुपये के बेल बॉन्ड पर सशर्त जमानत दे दी।
हालांकि, इसके अगले ही दिन मंडोली जेल से गलती से बंटी की जगह सह-आरोपी रमेश कुमार को रिहा कर दिया गया। जब इस गलती की जानकारी कोर्ट को दी गई तो बंटी के लिए दोबारा बेल ऑर्डर जारी कर जेल प्रशासन को भेजा गया। दूसरी तरफ कोर्ट ने रमेश कुमार को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया, लेकिन गुरुवार तक न तो रमेश ने सरेंडर किया और न ही बंटी की रिहाई हो सकी।
मिलता-जुलता केस
तिहाड़ की जेल नंबर 8 से एक और लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक अंडरट्रायल कैदी तीन अलग-अलग मामलों में जेल में बंद था। आरोपी को पहले दो मामलों में जमानत मिल चुकी थी और इसी आधार पर उसने तीसरे मामले में भी अपने वकील के जरिए जमानत की मांग की थी। सूत्रों के मुताबिक, शुरुआत में आरोपी को तीसरे मामले में भी जमानत मिल गई थी, लेकिन बाद में किसी कारणवश अदालत ने उसका बेल ऑर्डर रद्द कर दिया।
हालांकि, यह जानकारी जेल प्रशासन तक समय पर नहीं पहुंची और आरोपी को रिहा कर दिया गया। जब इस गलती का पता चला, तो जेल अधिकारियों ने खुद अदालत को पूरे मामले की जानकारी दी।
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