पल्लवी झा, दिल्ली: उत्तर भारत में मौसम का बदलाव हुआ और दिल्ली एनसीआर में बारिश हुई, जिससे प्रदूषण में कमी भी हुई। लेकिन, जहरीली हवा का अटैक बुधवार से फिर शुरू हो गया। माना जाता है कि अक्टूबर से जनवरी तक का महीना प्रदूषण के लिहाज से बेहद संवेदनशील होता है। ऐसे में अस्पताल में मरीजों की संख्या में काफी ज्यादा वृद्धि देखी जा रही है। देश के जाने-माने पल्मोनोलोजिस्ट और पीएसआरई अस्पताल में चाइमन के मुताबिक दिल्ली में पिछले कुछ सप्ताह में ही सांस लेने की परेशानी और खांसी की दिक्कत में 30 फीसदी मरीजों का इजाफा दिख रहा है, जो एक बड़ी समस्या हो सकती है।
क्या कहती है सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज और एम्स की स्टडी
एक आकलन के मुताबिक पिछले दो साल की तुलना में इस बार अब तक प्रदूषित दिनों की संख्या बढ़ी है। पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले दस दिनों में भी ज्यादातर दिन प्रदूषण बुरे स्तर पर रह सकता है। ऐसे में प्रदूषण के लिए अभी तक जो कदम उठाए जा रहे हैं, उनमें तेजी लाने की जरूरत है। क्योंकि एम्स और सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीस की स्टडी भी चौकने वाली हैं, खासकर के डायबिटीज के मरीजों के लिए। जानकारी के मुताबिक देश में लगभग 11.4 फीसदी लोग डायबिटीज के शिकार हैं, जिसमें अगर दिल्ली की बात की जाए तो 17 फीसदी डायबिटिक यहां हैं। ऐसे में रिसर्च में पाया गया है कि जो लोग डायबिटिक हैं उनके शरीर में इंफ्लामेशन बढ़ने लगा है और जो सीरियस केस में तब्दील होते दिखने लगा है। वहीं, जहां AQI ज्यादा था वहां ग्लूकोस रैंडम और एचबी1एसी भी बढ़े हुए मिले हैं।
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कहां और किन पर हुई रिसर्च
यह रिसर्च देश के दो बड़े शहरों में की गई, जिसमें देश की राजधानी दिल्ली और चेन्नई शामिल है। इन जगहों पर करीब 12000 लोगों को लगातार सात साल तक मॉनिटर किया गया। चेन्नई में PM 2.5 का औसत लेवल 30-40 µg/m3 देखा गया तो, वहीं दिल्ली में औसतन 82-100µg/m3 मिला जो की दुगुना था। जिसकी वजह से डाइबिटीज के साथ-साथ हाइपरटेंशन का खतरा बढ़ता दिख रहा है।
ठंड का आगमन और सितंबर में बारिश कम बना प्रदूषण की वजह
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के एक्सपर्ट के मुताबिक इस बार समय से पहले ठंड ने दस्तक दी है यानी तापमान में अच्छी खासी गिरावट दर्ज की गई है, तो वहीं पराली भी जलने लगी है ऐसे में बीते साल से इस साल प्रदूषण का खतरा अभी से दिखने लगा है। बहरहाल, इस मुसीबत को कम करने की कवायद सरकारें तो कर रही हैं, लेकिन सड़कों पर उड़ती धूल को रोकना भी जरूरी है, क्योंकि ये सिर्फ सर्दियों में ही नहीं बल्कि पूरे साल एयर पल्यूशन बढ़ाने में मददगार बनती हैं, जिसकी वजह से कई तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं। बीमारियों का खतरा ज्यादा ना बढ़े इसलिए जरूरी है कि प्रदूषण को लेकर सावधानी बरती जाए।