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उपभोक्ता जागृति से ही होगा मिलावट के व्यापार का अंत?

– डॉ. के. पी. द्विवेदी शास्त्री नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में समय-समय पर नकली दूध, नकली घी, नकली तेल आदि बेचने की खबरें आये दिन समाचार-पत्रों में आती रहती हैं। देश में मिलावट पर बने कानूनों से अधिक पुराना मिलावट का इतिहास है परन्तु आज तक भी मिलावट पर लगाम लगाने में सरकारें असफल हैं।---विज्ञापन--- […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: Apr 6, 2023 12:23
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adulteration business

– डॉ. के. पी. द्विवेदी शास्त्री

नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में समय-समय पर नकली दूध, नकली घी, नकली तेल आदि बेचने की खबरें आये दिन समाचार-पत्रों में आती रहती हैं। देश में मिलावट पर बने कानूनों से अधिक पुराना मिलावट का इतिहास है परन्तु आज तक भी मिलावट पर लगाम लगाने में सरकारें असफल हैं।

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खाद्य पदार्थों में मिलावट को देखते हुए भारत सरकार ने 1954 में खाद्य मिलावट निषेध अधिनियम को बनाया जो 1955 से लागू है। 1968, 1973, 1978 तथा 1979 में उसमें संशोधन भी किये गए परन्तु सब बेअसर ही हैं। ऐसा क्यों? यह प्रश्न चिन्ह सरकारी मशीनरी को कटघरे में खड़ा करता है क्यों खुलेआम होता मिलावटी खाद्य पदार्थों का व्यापार इनको नजर नहीं आता अब तो मिलावट करने वाले कारोबारी मिलावट से भी एक कदम आगे बढ़ गए हैं अब वह पूरी तरह नकली वस्तुएँ बनाने लगे हैं।

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थोड़ा पाउडर कुछ कैमिकल और पानी की मदद से नकली दूध बनाकर उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। अभी हाल ही में नकली दूध बेचने वाले एक गिरोह को पकड़ा गया जो लगभग 10 लाख लीटर दूध दिल्ली एनसीआर में बेच चुका था। इसके अतिरिक्त मिलावटी घी मिलावटी तेल मिलावटी दालें, अनाज मिलावटी मावा भी खुलेआम बाजारों में बिकते हैं जो त्यौहारों के मौकों पर और बढ़ जाती है।

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इसके अतिरिक्त सब्जियों को इंजेक्शन लगाकर बढ़ाना, फलों को कैमिकलों से पकाना। इस प्रकार के काम भी निरंतर चल रहे हैं। इसका जिम्मेदार कौन है? कार्यवाही के नाम पर कभी-कभी कुछ लोगों पर कार्यवाही कर दी जाती है वह भी अधिकतर छोटे कारोबारी होते हैं। भ्रष्ट अधिकारी और व्यापारियों की मिलीभगत से फलफूल रहा है मिलावटी वस्तुओं का व्यापार।

सरकार को इसे रोकने के लिये गम्भीरता से विचार करना चाहिये। यह उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है। स्वस्थ समाज के निर्माण के लिये जरूरी है कि इस प्रकार के व्यापार पर अंकुश लगाया जाये। कुछ लोग अपने लाभ के लिये उपभोक्ताओं की बड़ी संख्या को हानि पहुंचा रहे हैं। सरकार को चाहिये कि मंडियों व होलसेल मार्किटों पर पैनी नजर बनाए रखें।

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नई व्यवस्थाओं के साथ खाद्य मिलावट निषेध अधिनियम में संशोधन करके उसे और प्रभावी बनाऐ और उसमें सख्त सजा का प्रावधान रखें। इसके लिये उपभोक्ता को जागृत होना अनिवार्य है। उपभोक्ताओं का जागृत न होना, जानकारी का अभाव और कठिन न्याय प्रक्रिया के कारण ही मिलावट करने वालों का कारोबार फल-फूल रहा है।

लेखक डॉ. के. पी. द्विवेदी शास्त्री, अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति, दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

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Edited By

Sunil Sharma

Edited By

Manish Shukla

First published on: Apr 05, 2023 02:09 PM

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