Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद न्यायपालिका की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि जब उनके घर में आग लगी और फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची, तभी यह कैश बरामद हुआ था। घटना के समय जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे।
इस मामले के सामने आने के बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनकी इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर की सिफारिश भी की है।
अब इस मामले के बाद चर्चा है कि उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संसद में लाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, सरकार मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट की जांच के बाद अगली कार्रवाई तय की जा सकती है।
क्या है महाभियोग प्रस्ताव और कैसे लाया जाता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (4) और न्यायपालिका (जजों की जांच) अधिनियम, 1968 के तहत सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज को हटाने की प्रक्रिया तय की गई है। किसी जज को दुराचार (misbehaviour) या कर्म-अक्षमता (incapacity) के आधार पर ही हटाया जा सकता है।
- लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है।
- प्रस्ताव मिलने पर लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति (उपराष्ट्रपति) एक जांच समिति गठित करते हैं।
- इस समिति में किसी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रख्यात कानून विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
- यह कमेटी आरोपों की जांच-पड़ताल करती है और इसके बाद अपनी रिपोर्ट पेश करती है।
- अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो प्रस्ताव को पहले एक सदन और फिर दूसरे सदन में पारित कराना होता है।
- प्रस्ताव को पारित करने के लिए सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
- जब प्रस्ताव दोनों सदनों से पास हो जाता है, तब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। उनकी मंजूरी मिलने के बाद संबंधित जज को पद से हटा दिया जाता है।
कब लगी थी आग?
जस्टिस वर्मा के घर में कैश तब मिला जब वहां आग लगी थी और दमकलकर्मी घर में घुसे। फिलहाल इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट करने की सिफारिश की है। अब देखना होगा कि आगे संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होती है या नहीं।
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