MLA Atishi: सोमवार को ईडी पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद आम आदमी पार्टी ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर भाजपा पर तीखा हमला बोला। आप की वरिष्ठ नेता व दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर ईडी एक्सपोज हो गई। भाजपा सरकार विपक्ष को खत्म करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर कहा कर्नाटक के एक केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर कड़ी टिप्पणी कर कहा है कि क्यों ईडी राजनैतिक हथियार बन रही है? इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को पिंजरे में बंद तोता बताया था। उन्होंने कहा कि फर्जी शराब घोटाले में ईडी ने आप नेताओं को गिरफ्तार किया, लेकिन आजतक एक पैसा बरामद नहीं कर सकी। कोर्ट ने सभी को जमानत दे दी। ईडी का मकसद ही राजनैतिक साजिश के तहत पीएमएलए में विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर उन्हें जेल में डालना है।
यह पहला मामला नहीं है
आतिशी ने कहा कि यह पहला मामला नहीं हैं, जहां सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसीज पर इतनी तीखी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी से तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्यों ईडी राजनैतिक हथियार बन रही है, क्यों राजनीतिक लड़ाई के लिए ईडी का प्रयोग हो रहा है? मामला यह था ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री की पत्नी को समन भेजे। इस समन को चुनौती दी गई और कर्नाटक हाईकोर्ट ने समन को रद्द कर दिया। लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ ईडी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।
कई गिरफ्तारी हुईं लेकिन बरामदगी नहीं
आतिशी ने कहा कि पिछले कुछ सालों में ईडी-सीबीआई समेत अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों का इतिहास देंखे तो एक बात निकल कर आती है कि इन एजेंसियों ने एक-एक कर सबको गिरफ्तार किया। लेकिन 1 रुपए की भी बरामदी नहीं दिखा पाईं। इसी तरह, ईडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, बिहार चुनाव से पहले आरजेडी की पूरी लीडरशिप को फंसाने की कोशिश की। ईडी ने बीआरएस के नेताओं पर केस किया। एक-एक कर सारे विपक्षी दलों के नेताओं को परेशान करने के लिए उन पर केस किए जाते हैं।
चुनाव के समय किया जाता है परेशान
आतिशी ने कहा कि एक राजनैतिक साजिश के तहत विपक्षी दलों के नेताओं को परेशान किया जाता है। यह इस बात से पता चलता है कि ईडी पहले गिरफ्तार करती है। पीएमएलए में जमानत का कोई प्रावधान नहीं है। जेल में नेताओं को रखा जाता है। जब सुप्रीम कोर्ट जमानत दे देता है तो उन मामलों को अगले चुनाव तक ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। जब चुनाव आता है तो केस को ठंडे बस्ते से निकाल कर फिर से विपक्ष के नेताओं को परेशान करने की कोशिश की जाती है।