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दिल्ली से वडोदरा जाने में बचेंगे 5 घंटे, जानें ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का कितना काम बाकी?

देशभर में कई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है। इन एक्सप्रेसवे को खेतों के बीच या पहाड़ों को काटकर एकदम शहरी आबादी से अलग बनाया जाता है। इसी कड़ी में दिल्ली-मुंबई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का भी निर्माण किया जा रहा है।

Author Edited By : Shabnaz Updated: Apr 10, 2025 12:17
Delhi Vadodara Expressway

दिल्ली-मुंबई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, जिससे दोनों शहरों के बीच की यात्रा काफी कम हो जाएगी। इसे तेज और सुविधाजनक सफर के लिए डिजाइन किया गया है। इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई लगभग 1,386 किमी होगी, जो दिल्ली के सोहना से शुरू होकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात होते हुए महाराष्ट्र तक जाएगा। इसके अलावा, इससे दिल्ली और वडोदरा के बीच की दूरी केवल 900 किलोमीटर रह जाएगी। इसके खुलने से बिजनेस और आर्थिक गतिविधियां तेज होने की संभावना है।

क्या होगा एक्सप्रेसवे का रूट?

दिल्ली से मुंबई के बीच बन रहे इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई करीब 1,386 किलोमीटर है। यह एक्सप्रेसवे हरियाणा के सोहना से शुरू होगा, जो दूसरे तीन राज्यों को जोड़ने में भी सहायक होगा। इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात को सीधा फायदा मिलेगा। इसके बाद ही यह महाराष्ट्र तक पहुंचेगा। इस प्रोजेक्ट को जयपुर, अजमेर, किशनगढ़, कोटा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, सवाई, माधोपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर और सूरत से होते हुए निकाला जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस एक्सप्रेसवे को 2025 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

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कितनी कम होगी दिल्ली से वडोदरा की दूरी

इस एक्सप्रेसवे के पूरी तरह से खुलने से वडोदरा और दिल्ली के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी दिल्ली से वडोदरा के बीच की दूरी (ट्रेन से) लगभग 1,100 किलोमीटर है, लेकिन इस एक्सप्रेसवे के पूरी तरह से बनने से इन दोनों शहरों के बीच की दूरी करीब 900 किमी रह जाएगी। इसके शुरू होने के बाद यह 14 घंटे की दूरी केवल बाई रोड 9 घंटे में पूरी की जा सकेगी। साथ ही इससे बिजनेस के साथ-साथ आर्थिक विकास में भी तेजी आएगी।

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Delhi Vadodara Expressway

क्या होते हैं ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे?

ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के नाम से ही पता चलता है कि यह किसी हरियाली वाली जगहों पर बनाए जाते हैं। दरअसल, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को हरे मैदानों या खेतों के बीच में बनाया जाता है, जिसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम भी आसान होता है और शहर से थोड़ा दूर होने की वजह से यहां पर भीड़ भी बहुत कम रहती है।

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First published on: Apr 10, 2025 12:17 PM

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