---विज्ञापन---

सुनवाई के बाद क्यों और कब ऑर्डर रिजर्व करती हैं अदालतें? जान लें पूरी बात

Delhi Liquor Scam Case: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने अपना ऑर्डर रिजर्व किया है। लोगों में सवाल है कि अदालतें ऑर्डर रिजर्व क्यों करती हैं। इसकी अलग वजह होती है। ये वजह कौन सी होती है? खबर में विस्तार से जानते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Sep 7, 2024 16:56
Share :
Delhi Liquor Policy Scam Arvind Kejriwal Bail Plea Hearing

Delhi Liquor Scam: (प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली) दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर रिजर्व किया तो लोगों ने सवाल पूछना शुरू किया कि ऐसा करने की जरूरत क्या थी? सुनवाई हो गई तो फैसला सुना देना था। कुछ लोगों ने तो सोशल मीडिया पर यह तक लिख दिया कि भाई, मामला केजरीवाल की जमानत का है। जज तत्काल फैसला कैसे सुना देते? किसी से सलाह मशविरा करना होगा! तो आइए पहले जानते हैं कि कोर्ट ऑर्डर रिजर्व कब और क्यों करता है? जब कोई पीड़ित व्यक्ति कोर्ट जाता है तो उसकी पिटीशन में एक मुख्य मांग होती है।

यह भी पढ़ें:CM केजरीवाल की जमानत से क्या है ‘ट्रंप कनेक्शन’, वकील ने SC में क्यों लिया US के पूर्व राष्ट्रपति का नाम?

उस मुख्य मांग पर सुनवाई में विलंब होने या अधिक समय लगने की स्थिति में पीड़ित मांग करता है कि जब तक मेरी याचिका पर सुनवाई नहीं होती तब तक उसे अंतरिम राहत दी जाए। कोर्ट को लगता है कि ऐसी मांग तत्काल मानी जा सकती है तो कोर्ट अंतरिम राहत का ऑर्डर तत्काल सुना देता है। कई बार पीड़ित कोर्ट से अंतरिम राहत की मांग नहीं करता। यह पूरी तरह पीड़ित व्यक्ति पर निर्भर करता है। जब किसी मामले में लंबी और विस्तृत सुनवाई होती है तब कई बार कोर्ट ऑर्डर रिजर्व करता है। कुछ मामलों की सुनवाई दिनभर तो कुछ की कई-कई दिन तक होती है। क्योंकि जजों को फैसले में वो सब बातें लिखनी होती है, जो दोनों पक्ष के वकीलों ने अपनी दलीलों में कही होती हैं। ऐसे में कोर्ट ऑर्डर रिजर्व करता है।

छुट्टी के दिन लिखे जाते हैं फैसले

फैसले शनिवार, रविवार या छुट्टी के दिनों में लिखे जाते हैं। क्योंकि बाकी दिनों में कोर्ट में नियमित काम इतना अधिक होता है कि जजों को फैसला लिखने का समय नहीं मिलता। अब अरविंद केजरीवाल के मामले की बात करते हैं। केजरीवाल की जमानत याचिका पर दिनभर सुनवाई हुई थी। केजरीवाल की तरफ से मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे। सिंघवी वो सब दलीलें रख देना चाहते थे, जिससे उनके क्लाइंट को हर हाल में जमानत मिल जाए। वहीं, सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हो रहे थे। राजू की कोशिश थी कि केजरीवाल को जमानत न मिले। इसलिए उन्होंने भी लंबी बहस की। नतीजा हुआ कि दिनभर सुनवाई चलती रही।

करीब साढ़े चार घंटे की दलीलों को सुप्रीम कोर्ट को अपने ऑर्डर में लिखना है, ये तत्काल नहीं हो सकता। इसलिए कोर्ट को ऑर्डर रिजर्व करना पड़ा। हालांकि यदि केजरीवाल की जगह पर कोई आम आदमी होता तो न इतने बड़े वकील होते, न इतनी लंबी सुनवाई होती और न ऑर्डर रिजर्व करने की जरूरत पड़ती। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शराब नीति घोटाले के दो आरोपियों मनीष सिसोदिया और के कविता को जमानत दी है। दोनों मामलों में कोर्ट ने कहा कि बेल इज रूल, जेल इज एक्सेप्शन। कोर्ट ने कहा था कि शराब नीति घोटाला मामले का ट्रायल निकट भविष्य में पूरा होने की संभावना नहीं है। मनीष सिसोदिया 16 महीनों से जेल में थे। के कविता 6 महीने से जेल में थीं।

केजरीवाल 6 महीने से जेल में

केजरीवाल को भी 6 महीने हो गए हैं। सिसोदिया और के कविता के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर कहा जा सकता है कि उनको भी जमानत मिलने की संभावना है। लेकिन केजरीवाल के मामले में एक रोड़ा है। सीबीआई मामले में केजरीवाल जमानत के लिए निचली अदालत में न जाकर सीधे हाई कोर्ट चले गए थे। हाई कोर्ट ने केजरीवाल को निचली अदालत जाने को कहा था। लेकिन केजरीवाल निचली अदालत न जाकर सुप्रीम कोर्ट आ गए और सीबीआई इसी आधार पर केजरीवाल की जमानत का विरोध कर रही है। उसकी दलील है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी तो हाई कोर्ट demoralise होगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर रिजर्व करते समय कह दिया था कि ऐसा मत कहिए।

यह भी पढे़ं : ‘जन्माष्टमी पर पैदा हुए केजरीवाल से कुछ करवाना चाहते हैं भगवान’, पत्नी सुनीता ने खोला राज

HISTORY

Written By

Parmod chaudhary

First published on: Sep 07, 2024 04:56 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें