Delhi High Court Pocso Act Touching Lips Minor: दिल्ली हाई कोर्ट ने 7 मार्च 2025 शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया जिसमें कहा गया कि नाबालिग लड़की के होंठ छूना और उसके बगल में सोना पॉक्सो एक्ट के तहत कोई अपराध नहीं है, बशर्ते उसमें कोई गंदा उद्देश्य न छिपा हो। अगर इरादा गलत न हो तो ये पॉक्सो एक्ट के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता। इस फैसले पर दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा, ऐसे कृत्य आरोपी की गरिमा का हनन कर सकते हैं। ऐसे में यौन इरादे के बिना यह पॉक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत आरोप कायम रखने के लिए आवश्यक कानूनी सीमा को पूरा नहीं करेगा। इसके चलते गंभीर यौन उत्पीड़न के मामले में कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…
जानें क्या है मामला
ये मामला एक 12 साल की बच्ची से जुड़ा है। जिसे उसकी मां द्वारा बचपन में ही छोड़ दिया गया था। उसे बाल देखभाल केंद्र में रखा गया। कोर्ट में बताया गया कि बच्ची को छोटी उम्र में ही मां ने छोड़ दिया था। घटना के समय वो अपने परिवार के पास मिलने के लिए आई हुई थी। बच्ची उस समय किसी पारिवारिक सुरक्षा की तलाश कर रही थी। ऐसे में परिवार के किसी सदस्य द्वारा अनुचित शारीरिक संपर्क उसके लिए असहतजा से कहीं अधिक था। बच्ची के चाचा द्वारा दाखिल याचिका से जुड़ा है जिसमें उस पर पोक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत आरोप तय किए गए थे।
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बच्ची ने लगाए थे आरोप
बचपन में ही मां द्वारा छोड़ी गई और बाल केंद्र में पली लड़की ने अपने चाचा पर आरोप लगाया था कि वो उसके बगल में लेटे थे और बच्ची के होठों को छुआ और दबाया था। उनके इस कृत्य से बच्ची असहज हो गई थी। शिकायत दर्ज होने पर उस आरोपी पर आईपीसी की धारा 354 और पोक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत आरोप लगाए गए थे।
क्या है पॉक्सो एक्ट
अब शॉर्ट में ये जान लेते हैं कि आखिर पॉक्सो एक्ट क्या होता है। दरअसल ये एक्ट बच्चों के यौन शोषण से जुड़ा है जो बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करता है। इस एक्ट के तहत अगर किसी बच्चे के साथ यौन शोषण किया जाता है या उसके मान का हनन होता है तो कड़ी सजा का प्रावधान है।
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