Delhi News: दिल्ली में बाढ़ ने हजारों परिवारों की जिंदगी उजाड़ दी है। जिसके चलते बाढ़ से प्रभावित परिवार अब भी मदद का इंतजार कर रहे हैं।घरों में रखा सामान, फर्नीचर, बर्तन, बच्चों की किताबें, यहां तक कि लोगों के जरूरी कागज तक पानी में बह गए। कई इलाक़ों में अब भी लोग उधार लेकर गुज़ारा कर रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ़ से राहत का इंतजार लंबा होता जा रहा है। जिन परिवारों को आज तुरंत मदद चाहिए थी, उन्हें सरकार के दफ़्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ी
इसी हालात को लेकर दिल्ली विधानसभा की नेता विपक्ष आतिशी ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रेखा गुप्ता सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही ने बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। आतिशी ने मांग रखी कि हर प्रभावित परिवार के सभी बड़े सदस्यों को कम से कम 18,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाए। जिन किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है, उन्हें 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिले।
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बच्चों को दी जाए किताबें और कॉपियां
बाढ़ में बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है, उनकी कॉपियां और किताबें बह गई हैं, इसलिए तुरंत नई किताबें और पढ़ाई का सामान उपलब्ध कराया जाए। साथ ही, जिन परिवारों के ज़रूरी कागज़ात और दस्तावेज़ बर्बाद हो गए हैं, उनके लिए राहत कैंप लगाकर नए दस्तावेज बनाए जाएं।
आतिशी का कटाक्ष भरा बयान
आतिशी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जब लोग अपने घर बचाने के लिए पानी में डूबते-उतराते रहे, उस समय सरकार सिर्फ़ बयानबाज़ी करती रही। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुख की बात है कि आज की सरकार जनता को उनके हाल पर छोड़कर चुप बैठी है।
दिल्ली में हालात अलग थे
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, तब हालात अलग थे। चाहे प्रदूषण का संकट आया हो, बारिश और पानी भराव की समस्या रही हो या फिर महामारी जैसी आपदा- AAP सरकार ने हमेशा तुरंत राहत पैकेज और मदद पहुंचाई। लोगों को भरोसा था कि संकट की घड़ी में सरकार उनके साथ खड़ी मिलेगी। लेकिन आज वही दिल्लीवासी खुद को बेसहारा महसूस कर रहे हैं।
दिल्ली की जनता बीजेपी से नाराज
जनता अब साफ-साफ देख रही है कि पहले की सरकार और आज की सरकार में कितना बड़ा फर्क है। पहले जहां उन्हें भरोसा और राहत मिलती थी, वहीं अब सिर्फ इंतज़ार और निराशा है। रेखा गुप्ता सरकार की चुप्पी और नाकामी ने यह साबित कर दिया है कि दिल्ली की जनता की चिंता अब बीजेपी सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।
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