Delhi Assembly Elections: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को 60.42 फीसदी वोटिंग हुई थी। सबसे ज्यादा नार्थ-ईस्ट दिल्ली विधानसभा सीट पर 66.25 फीसदी और सबसे कम साउथ ईस्ट सीट पर 56.16 फीसदी मतदान हुआ था। अब लोगों की नजर चुनाव के नतीजों पर है, जो 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। इससे पहले कई एग्जिट पोल सामने आए हैं, जिनमें बीजेपी की जीत का अनुमान जताया गया है। बीजेपी पिछले 28 सालों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है, आखिरी बार सुषमा स्वराज के नेतृत्व में बीजेपी की दिल्ली में सरकार थी। बीजेपी को अगर जीत हासिल हुई तो राष्ट्रीय राजनीति में 5 बड़े बदलाव आ सकते हैं। इनके ऊपर चर्चा करते हैं।
पीएम मोदी का विकल्प नहीं
लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मनमाफिक सीटें नहीं मिल सकी थीं। माना जाने लगा था कि पीएम मोदी की लोकप्रियता में गिरावट आने लगी है। कांग्रेस और दूसरे दल कुछ ज्यादा आशान्वित होने लगे थे। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र और अब दिल्ली में जीत मिली तो मान लिया जाएगा कि अभी मोदी का विकल्प नहीं है। लोकसभा में हाल ही में मोदी ने कहा था कि अगर जरूरत हुई तो वे आगे भी देश की सेवा करते रहेंगे। ऐसे में हो सकता है कि अगले लोकसभा चुनाव में भी मोदी एनडीए का नेतृत्व करें।
फिर एकजुट होगा इंडिया गठबंधन!
2024 लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस को लगने लगा था कि वह अकेली ही बीजेपी से निपट सकती है। कई मौकों पर इंडिया गठबंधन बिखरा दिखा था। कांग्रेस के रुख के बाद क्षेत्रीय दलों में अपने अस्तित्व को लेकर चिंता होने लगी थी। सपा, शिवसेना यूटीबी, टीएमसी और आप जैसे दल अपनी राहें जुदा करने लगे थे। दिल्ली में बीजेपी की जीत के बाद एक बार फिर इंडिया गठबंधन एक हो सकता है। विपक्ष को लग सकता है कि अलग-थलग होकर बीजेपी को नहीं हराया जा सकता।
दिल्ली में कांग्रेस होगी मजबूत?
अगर आप हारी और कांग्रेस 8-10 फीसदी वोट ले गई तो भविष्य में उसकी मजबूती के रास्ते खुल सकते हैं। दलित और मुस्लिम कांग्रेस के कोर वोटर माने जाते हैं। अगर ये वोटर इस बार कांग्रेस के साथ आए तो भविष्य में पिछड़ों के वोट भी उसे मिल सकते हैं। बिहार में होने वाले चुनाव में कांग्रेस के लिए ये वोटर अहम साबित होंगे।
बीजेपी का आत्मविश्वास बढ़ेगा!
इस समय कई बिल संसद में पास होने का इंतजार कर रहे हैं। अगर बीजेपी को जीत मिली तो एक बार फिर इन बिलों को पास करवाने की कवायद शुरू हो सकती है। सहयोगी दलों पर जीत का दबाव होगा। इस समय एक देश-एक चुनाव, वक्फ बोर्ड संशोधन जैसे बिल पेंडिंग हैं।
संघ की पावर की समीक्षा!
लोकसभा चुनावों में बीजेपी और RSS में दूरियां दिखी थीं। नड्डा ने कहा था कि अब बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं, जिसके बाद से सब कुछ ठीक नहीं माना जा रहा था। हालांकि हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में संघ की सक्रियता दिखी थी। दिल्ली चुनाव में भी संघ जुटा था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में वोटिंग से पहले संघ ने 50 हजार ड्राइंग चर्चा की थीं। मध्य वर्ग के लोगों के साथ जनसंपर्क किया गया था। संघ के प्रयास कितने सफल होंगे, इसकी पावर की समीक्षा भी जीत मिलने के बाद तय हो जाएगी?
यह भी पढ़ें: दो पति हों तो महिला किससे गुजारा भत्ता मांगने की हकदार? पढ़ें सुप्रीम कोर्ट का फैसला
यह भी पढ़ें: Delhi Exit Poll के नतीजों पर क्या बोली Aap? केजरीवाल मारेंगे चौका या BJP को मौका