Delhi Assembly: केजरीवाल सरकार को ‘किसान विरोधी’ बताते हुए भाजपा विधायकों ने गुरुवार को लगातार दूसरे दिन दिल्ली विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा विधायक ‘हल’ लेकर पहुंचे और आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ धरना दिया।
विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली में किसानों को 30,000 रुपये का रोड टैक्स देना होगा क्योंकि किसान विरोधी सरकार ने ट्रैक्टरों को व्यावसायिक घोषित किया है।
आज दिल्ली विधानसभा के बाहर नांगली एवं रावता गांव के सैकड़ों किसानों के साथ किसानों की जमीन दिल्ली सरकार के द्वारा अनुचित मुआवज़ा देकर जबरन अधिग्रहित किये जाने का विरोध किया। भाजपा दिल्ली के किसानों के साथ खड़ी है। किसान विरोधी केजरीवाल सरकार के खिलाफ हमारा संघर्ष जारी रहेगा। pic.twitter.com/l6xbUhLr7O
— Virendraa Sachdeva (मोदी का परिवार ) (@Virend_Sachdeva) January 19, 2023
---विज्ञापन---
केजरीवाल सरकार ने किसानों की जमीन का किया है अधिग्रहण
भाजपा विधायकों ने कहा कि दिल्ली के नंगली में केजरीवाल सरकार ने किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया है और मुआवजे के तौर पर महज 22 लाख रुपये प्रति बीघा दिया गया है, जो आसपास के इलाकों से काफी कम है। विपक्ष इस पर सदन में चर्चा चाहता है। सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है तो भाजपा के सभी विधायक मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर धरने पर बैठेंगे।
विश्वास नगर से बीजेपी विधायक ओम प्रकाश शर्मा ने भी कहा कि दिल्ली में किसानों का शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम इस किसान विरोधी सरकार की निंदा करते हैं। दिल्ली में दिया जा रहा मुआवजा बहुत कम है और दिल्ली में किसानों का शोषण हो रहा है। हम इस सरकार का विरोध करते हैं और किसानों को बाजार के अनुसार उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल पर साधा निशाना
इस बीच, बुधवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने राज्य विधानसभा सत्र में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर परोक्ष रूप से निशाना साधा और कहा कि उपराज्यपाल अपने आकाओं को खुश करने के लिए एक कबीले के मुखिया की तरह काम कर रहे हैं।
आप नेता ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के कामकाज में कथित असंवैधानिक हस्तक्षेप के लिए उपराज्यपाल पर हमला बोला। सिसोदिया ने आरोप लगाया, “संविधान के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन पर फैसला केंद्र को नहीं, बल्कि राज्यों को लेना है। दिल्ली एलजी संविधान या सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले का पालन नहीं कर रहे हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया, ”मैं दिल्ली के एलजी से आग्रह करता हूं कि वह अपने बिग बॉस को खुश करने के लिए एक आदिवासी मुखिया की तरह काम न करें बल्कि संविधान का पालन करें।