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दिल्ली

चाणक्य डिफेन्स डायलॉग-2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बोलीं- ‘राष्ट्रीय विकास में भी अहम योगदान दे रही हमारी सेनाएं’

डिफेंस डाइलॉग के मौके पर थल सेना प्रमुख ने बॉर्डर पर तैनात सैनिकों के मनोबल को बढ़ाया और दुश्मन देश को चेतावनी देते हुए कहा, 'तुम सुधर जाओ नही तो भारतीय सेना तुम्हें सुधार देगी.'

Author Written By: Pawan Mishra Author Published By : Akarsh Shukla Updated: Nov 27, 2025 20:39

Chanakya Defence Dialogue-2025: भारत की राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को चाणक्य डिफेन्स डायलॉग-2025 के तीसरे संस्करण का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेना का मनोबल बढ़ाया और सशस्त्र बलों की प्रशंसा भी की. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, ‘हमारी आतंकवाद विरोधी और निवारक रणनीति में दुनिया ने न केवल भारत की सैन्य क्षमता पर ध्यान दिया, बल्कि शांति की खोज में अभी भी जिम्मेदारी से कार्य करने की भारत की नैतिक स्पष्टता पर ध्यान दिया. मुझे यह जानकर खुशी हुई कि अपने परिचालन लक्ष्य से परे, भारतीय रक्षा प्रक्रिया राष्ट्रीय विकास का एक स्तंभ बनी हुई है. हमारी सीमाओं को मजबूत करने के अलावा, उन्होंने बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी से लेकर क्षेत्र और शिक्षा तक सीमा क्षेत्र के विकास में भी मदद की है. देवियो और सज्जनो, आज का भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से चुनौतीपूर्ण हो रहा है. विरोधाभासी शक्ति केंद्रों, तकनीकी व्यवधानों और बदलते गठबंधनों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को फिर से लिखा जा रहा है. गणना, साइबर, अंतरिक्ष सूचना और संज्ञानात्मक युद्ध के नए डोमेन अंतरिक्ष और क्षमता के बीच की रेखाओं को धुंधला कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा कि घोसुदेव, कुटुंबकम के हमारे सभ्यतागत लोकाचार से प्रेरित होकर, हमने दिखाया है कि रणनीतिक स्वायत्तता वैश्विक जिम्मेदारी के साथ सह-अस्तित्व में रह सकती है. हमारी कूटनीति, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे सशस्त्र बल मिलकर भारत में प्रोजेक्ट करते हैं जो शांति चाहता है लेकिन अपनी सीमा और अपने नागरिकों की ताकत और दृढ़ विश्वास के साथ रक्षा करने के लिए तैयार है. मुझे यह जानकर खुशी हुई कि परिवर्तन के दशक के तहत सेना खुद को मात्रात्मक से वितरण योग्य में बदल रही है. यह संरचनाओं में सुधार कर रहा है, सिद्धांतों को पुन: उन्मुख कर रहा है और सभी क्षेत्रों में भविष्य के लिए तैयार और सक्षम दृष्टिकोण के लिए क्षमताओं को फिर से परिभाषित कर रहा है. मुझे विश्वास है कि ये रक्षा सुधार भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे.

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राष्ट्रपति आगे कहती हैं, ‘मुझे यह जानकर खुशी हुई कि सेना युवाओं और मानव पूंजी में निवेश कर रही है. यह शिक्षा, एनसीसी विस्तार और खेल के माध्यम से युवाओं में देशभक्ति की भावना जगा रही है. भूमिका और चरित्र दोनों में युवा मानव अधिकारियों और सैनिकों के योगदान का विस्तार, समावेशन की भावना को बढ़ावा देगा. यह अधिक युवा महिलाओं को भारतीय सेना में शामिल होने और अन्य पेशे अपनाने के लिए भी प्रेरित करेगा. मुझे उम्मीद है कि इस संवाद की चर्चा और परिणाम नीति निर्माताओं को भविष्य को आकार देने, हमारी राष्ट्रीय नीति की रूपरेखा तैयार करने के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगे. मुझे विश्वास है कि हमारे सशस्त्र बल उत्कृष्टता के लिए प्रयास करना जारी रखेंगे और 2047 तक बिक्सिट भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के संकल्प और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे. मैं सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं.’

धारणाओं को आकार देती है सैन्य शक्ति: सीडीएस अनिल चौहान

डिफेंस डाइलॉग में सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, ‘मेरा मानना ​​है कि इसे चार महत्वपूर्ण स्तंभों पर टिकना चाहिए. पहला है विश्वसनीय तत्परता. इसका मतलब यह है कि हमें तेजी से डेटा जुटाने और तालमेल बिठाने में सक्षम होना चाहिए. दूसरा स्तंभ भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और संज्ञानात्मक डोमेन को सहजता से एकीकृत करके मल्टी-डोमेन संचालन करने में कुशल होना है. तीसरा, मुझे लगता है, कैच-अप प्रकार का गेम खेलने के बजाय तकनीकी छलांग लगाना या गेम को फिर से परिभाषित करना है.

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अंत में, सशस्त्र बलों को एक लचीली राष्ट्रीय सुरक्षा वास्तुकला का हिस्सा होना चाहिए जिसमें सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला, ऊर्जा लचीलापन और सरल रक्षा विनिर्माण शामिल है. रणनीतिक स्थिति में, हमें उच्चतम क्रम की सैन्य तैयारियों पर निर्भर रहना चाहिए और हमें उस नए सामान्य को ध्यान में रखना चाहिए जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है. नवाचार और रक्षा अनुसंधान और विकास तथा विनिर्माण दूसरा स्तंभ है, और कूटनीतिक चपलता. रणनीतिक भाग, मुद्रा वास्तव में ताकत के स्तंभों पर आधारित होनी चाहिए. मैं फिर से एक और संस्कृत श्लोक से निष्कर्ष निकालने का प्रयास करूंगा जो वास्तव में शक्तिर वलसया मूलम् कहता है. इसका मतलब यह है कि शक्ति ही सारी शक्ति का मूल है.
सैन्य शक्ति धारणाओं को आकार देती है, यह प्रतिद्वंद्वी को अभूतपूर्व कारण का संकेत देती है और राष्ट्रीय संकल्प को विश्वसनीयता प्रदान करती है. सैन्य शक्ति और उसका अति-प्रदर्शन भविष्य में और भी अधिक प्रासंगिक हो जाएगा.

थल सेना प्रमुख ने देश के दुश्मनों को दी चेतावनी


डिफेंस डाइलॉग के मौके पर थल सेना प्रमुख ने बॉर्डर पर तैनात सैनिकों के मनोबल को बढ़ाते हुए दुश्मन देश को चेतावनी देते हुए कहा कि तुम सुधर जाओ नही तो भारतीय सेना तुम्हें सुधार देगी. जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने डाइलॉग में कहा कि दुनिया में लंबे समय से चला आ रहा शांति काल खत्म हो रहा है. 50 से ज्यादा वैश्विक संघर्षों के कारण हालात बेहद अस्थिर हो चुके हैं. उन्होंने आत्मनिर्भरता, इनोवेशन, इकोसिस्टम सुधार और मिलिट्री-सिविल फ्यूजन को सेना के भविष्य के लिए जरूरी बताया उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया में 50 से ज्यादा सक्रिय संघर्ष चल रहे हैं, थल सेना प्रमुख ने एक रोड मैप भी पेश किया है जिसमे भविस्य के युद्ध को लेकर भारतीय सेना की क्या है तैयारी और किन किन आर्म्स का एंडेक्सन होना है उसकी चर्चा की गई है. थल सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 S विजन की चर्चा करते हुए कहा कि सेना का ट्रांसफॉर्मेशन ब्लूप्रिंट इसी पर आधारित है.

First published on: Nov 27, 2025 08:39 PM

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